बीजिंग: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बीजिंग की जांच ने बीते वर्षों के बीच हिन्दुस्तान-चाइना के मध्य बने पुष्टिकारक रिश्तों में एक फुट डाल रहे है. पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना इस खूनी संग्राम से दोनों देशों के मध्य विश्वास टूटता जा रहा है. उक्त बातें एक चीन की असंतुष्ट और एक पूर्व कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के बेटे जियानली यांग ने कहा- न्यूजवीक में अपनी राय जताते हुए बताया है कि कोरोना महामारी के प्रकोप को प्रभावी ढंग से संभाल पाने में असफल रहा और स बात से चीन बहुत ही निराश है. उन्होंने बताया कि अपने आप को मजबूत दिखाने के उत्साह में चीन ने पूर्वी लद्दाख में सेना को उकसाने की जांच कर रहे है.
दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों में पैदा हुआ अविश्वास: जंहा इस बारें में उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में वुहान में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारत के पीएम मोदी के बीच बैठकों के रिजल्ट्स दोनों देशों के बीच पुष्टिकारक संबंध विकसित हुए. जियानली के मुताबिक चीन केवल अपने मजबूत होने की चिंता में हिन्दुस्तान के साथ अविश्वसनीय पक्ष प्रकट कर रहा है. भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सैन्य, कूटनीतिक एवं प्रौद्योगिकी वस्तु का सहारा लिया है. जिसके साथ हिंदुस्तान को अन्य देशों का भी समर्थन मिल गया है. दुनिया के अन्य मुल्कों ने भी हिमालय वाले क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध कर रहे है. खुद अमेरिका ने चीन के इस कदम की आलोचना की है. विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इसे अविश्वसनीय और चीन की आक्रामक जांच की आलोचना की है.
टकराव के बाद भारत की सद्भावना खोने से चिंतित रूस: जियानली का कहना है कि चीन अब सचेत हो चुके है. उसे इस बात का इल्म है कि गलवन घाटी में टकराव के उपरांत हिंदुस्तान ऐसा रास्ता अपनाने वाला है, जो चीन के अंडर नहीं होगा. जियानली ने बताया कि हिन्दुस्तान की सद्भावना खोने के डर से बीजिंग में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. यही वजह है कि उसने ग्लोबन टाइम्स के संपादकीय में हिंदुस्तान को यह समझाने का प्रयास किया कि चीन कभी भी भारत के साथ संबंधों में 'भेडि़या' नहीं रहा यानी चालबाज खत्म हो चुका है.
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