चंडीगढ़: पंजाब में संगरूर की एक जिला अदालत ने 100 करोड़ रुपए के मानहानि मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को समन भेजा है। हिंदू सुरक्षा परिषद बजरंग दल हिंद के संस्थापक हितेश भारद्वाज ने हाल ही में संपन्न हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान बजरंग दल के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए खड़गे के खिलाफ स्थानीय कोर्ट में मानहानि का केस दाखिल किया था। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रमनदीप कौर की कोर्ट ने खड़गे को 10 जुलाई को पेश होने को कहा है।
हिन्दू सुरक्षा परिषद बजरंग दल हिंद के संस्थापक हितेश भारद्वाज ने दावा करते हुए कहा है कि कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना देश विरोधी संगठनों से की और कर्नाटक में सत्ता में आने के बाद बजरंग दल को बैन करने का भी वादा किया। भारद्वाज ने कहा कि, 'जब मैंने पाया कि घोषणापत्र के पेज नंबर 10 पर कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना देशद्रोही संगठनों के साथ की है और चुनाव जीतने पर इसे बैन करने का वादा किया है, तो मैं गुरुवार (11 मई) को कोर्ट चला गया।' इस मामले में जिला कोर्ट ने केस को सूचीबद्ध किया है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रमनदीप कौर की कोर्ट ने मल्लिकार्जुन खड़गे को 10 जुलाई तक अदालत में पेश होने को कहा है।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में वादा किया कि सरकार बनाने के बाद वह PFI और बजरंग दल को प्रतिबंधित कर देगी। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि, भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के मिशन पर लगे PFI को केंद्र सरकार पहले ही बैन कर चुकी है। वहीं, इसी PFI के पोलिटिकल विंग SDPI के समर्थन से कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव लड़ा है। सियासी जानकारों द्वारा कहा जा रहा है कि, कांग्रेस ने अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को खुश करने के लिए बजरंग दल पर बैन लगाने का वादा किया था, जो PFI बैन होने के बाद भड़के हुए थे। बता दें कि, 2015 में कांग्रेस की सिद्धारमैया PFI के 1600 आरोपितों पर दर्ज केस वापिस लिए थे। ऐसे में अब कांग्रेस के हाथ में सत्ता आने के बाद, यह भी हो सकता है कि, कर्नाटक से NIA और बाकी सुरक्षा एजेंसियों ने सबूत और तथ्यों के आधार पर जिन PFI नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किए हैं, कांग्रेस सरकार उन्हें वापस ले ले।