नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए इन दिनों सियासत चरम पर है। हालांकि, गांधी परिवार इस चुनाव से खुद को अलग-थलग बता रहा है, लेकिन सियासी पंडितों का कहना है कि, भले ही कांग्रेस का शीर्ष परिवार चुनाव से प्रत्यक्ष रूप से अलग हो, लेकिन परदे के पीछे से सभी चालें वही चल रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान में 24 घंटों के अंदर आया खतरनाक परिवर्तन भी इसी तरफ संकेत कर रहा है। दरअसल, मंगलवार (11 अक्टूबर) को खड़गे ने असम में पूर्वोत्तर के कांग्रेस सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा था कि, उन्हें सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए कहा था।
खड़गे ने मंगलवार को अपने बयान में कहा था कि, सोनिया गांधी ने उन्हें अपने घर बुलाया और उनसे कांग्रेस की अगुवाई करने को कहा। खगड़े ने कहा कि मैंने उनसे कहा कि मैं तीन नाम सुझा सकता हूं, मगर उन्होंने कहा कि वह नाम नहीं मांग रही हैं और मुझे पार्टी का नेतृत्व करने को कह रहीं है।' मल्लिकार्जुन खड़गे के इस बयान के बाद माना जा रहा था कि, चुनाव में उन्हें गांधी परिवार का समर्थन प्राप्त है, जिससे वे पहले इनकार करते रहे हैं। पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए खड़गे और गांधी परिवार के नेतृत्व के विरोधी माने जाने वाले दिग्गज नेता शशि थरूर के बीच है। लेकिन जैसे ही ये बात मीडिया में फैली, मल्लिकार्जुन खड़गे को फ़ौरन अपनी गलती का अहसास हो गया और उन्होंने 24 घंटों के अंदर ही अपने बयान पर से पलटी मार ली।
अब ये दर्शाने के लिए कि गांधी परिवार इस चुनाव से दूर है, खड़गे ने अपने बयान से यू टर्न लेते हुए कहा है कि सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद के लिए मेरा नाम सुझाया था, ये कोरी अफवाह है, मैंने ऐसा कभी नहीं कहा। खड़गे ने कहा है कि गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति न तो चुनाव लड़ रहा है और न ही किसी उम्मीदवार का समर्थन कर रहा है। खड़गे ने कहा कि किसी ने यह अफवाह कांग्रेस पार्टी सोनिया गांधी और मुझे बदनाम करने के लिए उड़ाई है।
बता दें कि, पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए खड़गे और गांधी परिवार के नेतृत्व के विरोधी माने जाने वाले दिग्गज नेता शशि थरूर के बीच मुकाबला है। खड़गे के नामांकन भरने के बाद यह बातें सामने आई थी कि गांधी परिवार ने उन्हें अपना समर्थन दे रहा है। हालांकि, इससे पार्टी के चुनाव प्राधिकरण के मुखिया मधुसूदन मिस्त्री ने इनकार कर दिया था, और स्पष्ट किया था कि चुनाव पूरी तौर से निष्पक्ष हैं। लेकिन, खड़गे के नामांकन में जिस तरह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की भीड़ लगी थी, उसे देखते हुए सियासी जानकार यही कह रहे थे कि, ये तमाम नेता बिना गांधी परिवार की इशारे के खड़गे के पीछे नहीं खड़े थे।
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