कोलकाता: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भले ही तीसरी बार सीएम बन गई हों, किन्तु इस बार उन्हें नंदीग्राम सीट पर भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के हाथों मात खानी पड़ी है. वहीं, ममता के मंत्रिमंडल में एक बार फिर अमित मित्रा की भी एंट्री हो गई है, जबकि उन्होंने इस बार किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ा था.
इस प्रकार देखा जाए तो, ममता बनर्जी और अमित मित्रा विधानसभा के सदस्य नहीं हैं. ऐसे में अब दोनों नेताओं का छह महीने के भीतर विधायक बनना अनिवार्य हो गया है, नहीं तो ममता को सीएम की और अमित मित्रा को मंत्री पद की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. बता दें कि ममता बनर्जी इस बार अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर छोड़कर नंदीग्राम से चुनावी संग्राम में उतरी थीं, किन्तु यहां वो शुभेंदु अधिकारी को मात नहीं दे सकीं.
नंदीग्राम सीट पर ममता को लगभग 2 हजार मतों से हार झेलना पड़ी है, जबकि उनकी पार्टी TMC को 213 सीटों के साथ प्रचंड बहुमित मिला है. ऐसे में नंदीग्राम से हारने के बाद भी ममता बनर्जी ने लगातार तीसरी बार बंगाल की सीएम के रूप में 5 मई को शपथ ग्रहण की है. अब उन्हें अपनी कुर्सी को बचाए रखने के लिए 5 नंवबर 2021 से पहले पश्चिम बंगाल की किसी सीट से विधानसभा का सदस्य होना जरूरी हो गया है.
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