कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्रीय एजेंसियों पर आरोप लगाए हैं। हालांकि, उनका आरोप लगाना लाजमी है, क्योंकि शिक्षा भर्ती घोटाले में उनके पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी जेल में हैं, वहीं, गौतस्करी करने के मामले में TMC के कद्दावर नेता अनुब्रत मंडल भी कैद में हैं। भ्रष्टाचार पर हुईं इन कार्रवाइयों से ममता बनर्जी पहले से ही आहात थीं, और अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार (30 अगस्त) को अभिषेक बनर्जी को कोयला घोटाला मामले में समन भेज दिया है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि ममता बनर्जी, जांच एजेंसियों से खुश तो नहीं होंगी।
सीएम ममता ने एजेंसियों की ओर से मिल रहे समन को 'खुली हिंसा' करार दिया है। हालांकि, ध्यान देने वाली बात ये भी है कि, 2021 में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में TMC के जीतने के बाद कई लोगों की हत्या कर दी गई थी, कई महिलाओं के बलात्कार हुए थे, हज़ारों लोगों ने बंगाल से भागकर पड़ोसी राज्यों में जाकर अपनी जान बचाई थी। लेकिन, आज भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच एजेंसी के समन को खुली हिंसा बता रहीं ममता बनर्जी, उस वीभत्स हिंसा पर मौन थीं। उस हिंसा का केस आज भी कोलकाता हाई कोर्ट में लंबित पड़ा हुआ है और पीड़ित न्याय का रास्ता देख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ममता बनर्जी ने अपने भतीजे को समन मिलने के बाद कहा है कि, 'एजेंसी के समन सिर्फ प्रतिशोध की सियासत नहीं है, यह खुली हिंसा है... यदि मुझे पता होता कि सियासत इतनी गंदी हो जाएगी, तो मैं कभी राजनीति में नहीं आती।' यही नहीं ममता बनर्जी ने दोबारा आरोप लगाए कि पशु और कोयला तस्करी के मुद्दे केंद्रीय गृहमंत्रालय और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी हैं।
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