कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर केंद्र सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। विधानसभा में दिए बयान में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री से अपील की कि वे बांग्लादेश सरकार से इस मुद्दे पर बातचीत करें। ममता ने कहा कि अगर जरूरत पड़े, तो संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश में शांति स्थापना के लिए पीसकीपिंग फोर्स भेजने की मांग की जानी चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि बीजेपी नेता बॉर्डर और व्यापार बंद करने की धमकियां दे रहे हैं, जबकि यह केवल केंद्र के आदेश से संभव है। ममता ने कहा कि अगर बांग्लादेश में हालात और बिगड़ते हैं, तो उनकी सरकार वहां से लोगों को वापस लाने के लिए तैयार है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बंगाल में शरण लेने वाले लोगों को भोजन और आवश्यक सुविधाओं की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के पूर्व सदस्य और हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें एक वकील की मौत हो गई। इसके अलावा दो अन्य पुजारियों रुद्रप्रोति केसब दास और रंगनाथ श्यामा सुंदर दास को भी गिरफ्तार किया गया है।
बांग्लादेशी अधिकारियों ने इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक खातों को अस्थायी रूप से फ्रीज कर दिया है और संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है। हालांकि, बांग्लादेश हाई कोर्ट ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की आबादी केवल 7.95% है, और उनके खिलाफ हो रही हिंसा पर भारत सरकार ने भी चिंता जताई है। केंद्र ने बांग्लादेशी प्रशासन से चरमपंथियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है। इस घटनाक्रम के बीच, बीजेपी विधायकों ने ममता बनर्जी के बयान का विधानसभा में विरोध किया, जिससे सदन में हंगामा हुआ। ममता का बयान यह सवाल खड़ा करता है कि इस समस्या के समाधान के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच ठोस कदम कब उठाए जाएंगे।
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