कोलकाता : नए आरक्षण कानून के लिए फिलहाल पश्चिम बंगाल के नागरिकों को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी सरकार का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी। इसके बाद आरक्षण को राज्य में लागू करेगी। जब से केंद्र की भाजपा सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है तभी से बंगाल सरकार इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठा रही है।
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यह है ममता के सरकार से सवाल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को ममता ने नदिया में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान मोदी सरकार के इस फैसले से सामान्य वर्ग के लोगों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की। उन्होंने बताया कि इससे आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाले बच्चों के लिए शिक्षा और नौकरियों में अवसर पहले की तुलना में कम हो जाएंगे। उन्होंने 8 लाख रुपये सालाना आय की आर्थिक सीमा पर सवाल उठाए।
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अभी कोर्ट में है मामला
जानकारी के मुताबिक ममता ने बताया, 'हमने अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है। फिलहाल इसपर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। इसपर कोई फाइनल कॉल नहीं ली गई है।' कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि हम फैसले का इंतजार करेंगे क्योंकि बनर्जी लगातार इसकी वैधता पर सवाल उठाती रही हैं।
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