दमदार प्रदर्शन के बाद मानवादित्य सिंह राठौर ने बताया- वे अब गन को खिलौना समझते हैं

दमदार प्रदर्शन के बाद मानवादित्य सिंह राठौर ने बताया- वे अब गन को खिलौना समझते हैं
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नई दिल्ली: खेलो इंडिया यूथ गेम्स के चैंपियन मानवादित्य सिंह राठौर ने हाल ही में खत्म हुई 63वीं राष्ट्रीय शॉटगन चैंपियनशिप में अपना दमदार प्रदर्शन करते हुए तीन स्वर्ण पदक हासिल कर सभी का दिल जीत लिया था। पूर्व खेल मंत्री और ओलंपिक पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौर के बेटे मानवादित्य अब सीनियर निशानेबाजी में कमाल दिखाना चाहते हैं और पिता की तरह ही ओलंपिक में पदक जीतना चाहते हैं| पेश हैं मुख्य अंश :

- आपके पिता भी निशानेबाजी में हैं तो आपका इस खेल में आना कैसे हुआ?

- घर का माहौल ऐसा था कि गन आसपास ही रहती थी। मैंने कभी भी गन को एक हथियार की नजर से नहीं देखा, हमेशा से एक खिलौने की तरह देखा है। बचपन से ही मेरी गन में दिलचस्पी रहती थीं और मैं खिलौनों के साथ खेलता था। घर पर निशानेबाजी रेंज थी तो पापा को भी गन चलाते हुए देखता था। इस तरह मेरी इस खेल की तरफ रुचि बढ़ने लगी। फिर पापा ने मुझे चलाने के लिए गन दी और इस तरह मेरी निशानेबाजी की शुरुआत हुई।

- जब आपने बचपन में गन उठाई तो क्या आप डरे नहीं। बच्चें इस तरह डर जाते हैं?

- मुझे गन देखकर बहुत खुशी होती थी क्योंकि मै गन चलाते समय आवाज निकलती थी और धुआं निकलता था और इसे देखकर मैं बहुत खुश होता था। मुझे बचपन से गन बहुत पसंद थी।

- पहली बार कब निशानेबाजी की थी?

- मैंने पहली बार 11 साल की उम्र में गन उठाई थी। वह पापा की थी।

- अभी निशानेबाजी में आपका सफर कैसा चल रहा है, उसे आप कैसे देखते हैं?

- अभी राष्ट्रीय चैंपियनशिप हुई थी तो ऐसे में जूनियर में मेरा यह आखिरी साल था। मैंने जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतकर अपने जूनियर करियर को समाप्त किया। अब मैं सीनियर करियर में बढ़ रहा हूं और आने वाले विश्व कप में भाग लेना चाहता हूं और अगले ओलंपिक के लिए कोटा हासिल करने की कोशिश करूंगा।

- आप अपने पिता से निशानेबाजी को लेकर सलाह लेते हैं और इस खेल से जुड़ी क्या-क्या चीजें वह आपको बताते हैं?

- मैं पापा से निशानेबाजी की सलाह लेता रहता हूं। वह मुझे तकनीकी रूप से कोई सलाह नहीं देते। वह मुझसे अपने अलग-अलग चैंपियनशिप के अनुभव शेयर करते रहते हैं जिसमें वह हिस्सा लिया करते थे। उन्होंने कैसे दबाव को झेला और जो चुनौतियां आईं उनका कैसे सामना करके कैसे आगे बढ़े। ये वो किस्से मुझे बताते हैं, जिनसे मैं सीख लेकर अमल करता हूं।

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