उस दौर में जब गोरी हुकूमत के सामने हर कोई अपनी जुबां खोलने से भी कतराता था, उस दौर में अंग्रेजी फौज के सिपाही मंगल पांडेय ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। कहा जाता है अंग्रेज अफसरों की हत्या के आरोप में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया और देश गुलामी के दौर में अंग्रेजी सरकार ने आठ अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं मंगल पांडे के अनमोल विचार जो सभी को जानने चाहिए.
* यह आज़ादी की लड़ाई है …
ग़ुज़रे हुए कल से आज़ादी …
आने वाले कल के लिए
* आज तक आपने हमारी
वफादारी देखि थी …
अब हमारा क्रोध देखिये
* बन्दूक बड़ी बेवफा माशूका होती है …
कब किधर मुँह मोड़ ले …
कोई भरोसा नहीं
* फिर उड़ गई नींद मेरी यह सोचकर,
कि जो शहीदों का बहा वो खून
मेरी नींद के लिए था
* किसी भी धर्म के लोगों का गोंमांस
खाना एक पाप है, और यदि
आप हिन्दू है तो ये एक कलंक भी है
* दे सलामी इस तिरंगे को
जिस से तेरी शान हैं,
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका
जब तक दिल में जान हैं!
* हँसते-हँसते फाँसी चढ़कर
अपनी जान गवा दी,
और बदले में दे दी ये पावन आजादी ।
* जब आप अपने देश की रक्षा करते है
तो धर्म की रक्षा स्वयं हो जाती है
* मन को खुद ही मगन कर लो,
कभी-कभी शहीदों को भी नमन कर लो
* हर इन्सान को अपने धर्म
कि रक्षा करनी चाहिए ।
* बिना दिल को शिक्षित किए दिमाग
को शिक्षित करना,
वास्तव में शिक्षा नहीं है।
* सत्य का मार्ग ही जीवन
की सफलता का मार्ग है
* जब मेरा कभी जन्म ही नहीं हुआ,
फिर मेरे लिए जन्म क्या है
और मृत्यु क्या है?
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