बैंगलोर: कर्नाटक के मंगलुरु में बीते दिनों ऑटोरिक्शा में हुए विस्फोट मामले में पुलिस को हैरान कर देने वाले सबूत हाथ लगे हैं। कर्नाटक पुलिस ने बताया है कि इस ब्लास्ट का मुख्य आरोपी मोहम्मद शारिक अपनी वास्तविक पहचान (मुस्लिम) छिपाते हुए हिंदू बनकर रह रहा था। पुलिस ने यह भी बताया है कि शारिक बेल्लारी के रहने वाले एक हिंदू व्यक्ति के नाम से जारी मोबाइल सिम कार्ड का उपयोग कर रहा था। उसने अपने मोबाइल के वॉट्सएप की डिस्प्ले इमेज में कोयंबटूर के ईशा फाउंडेशन में लगी भगवान शिव की प्रतिमा की तस्वीर लगा रखी थी। ताकि वह अपनी पहचान छिपा सके।
पुलिस के मुताबिक, जब मोहम्मद शारिक मैसुरु में रह रहा था, तो उस वक़्त वह बगैर उर्दू का लहजा इस्तेमाल किए कन्नड़ भाषा बोलता था। इसके साथ ही वह लोगों के बीच घुलने-मिलने के लिए सभी हिंदू त्योहार मनाता था। वहीं, कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रवीण सूद ने बुधवार को कहा है कि मंगलुरु के एक ऑटो रिक्शा में हुए ब्लास्ट मामले की जांच आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा कि मुख्य आरोपी मोहम्मद शारिक का उद्देश्य समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना था।
DGP ने बताया है कि, आतंकी का उद्देश्य दो समुदायों के बीच मतभेद पैदा करना था, इसमें कोई संदेह नहीं है। जब कोई ब्लास्ट होता है, तो समुदायों के बीच तनाव बढ़ता हैं, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम या ईसाई हों। मोहम्मद शरीक का मकसद देश को अस्थिर करना था। उनका इरादा निश्चित रूप से सांप्रदायिक सद्भाव और एकता को बिगाड़ने का था। राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने DGP प्रवीण सूद के साथ शहर के बाहरी हिस्से में स्थित घटनास्थल का दौरा किया। वह उस अस्पताल में भी गए जहां ऑटो ड्राइवर पुरुषोत्तम पुजारी का उपचार किया जा रहा है।
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