सनातन धर्म में सावन का महीना बाहर विशेष माना जाता है. इस के चलते भगवान महादेव के लिए व्रत रखे जाते हैं. भगवान महादेव के साथ-साथ यह महीना मां गौरी को भी बेहद ही प्रिय होता है. ऐसे में इस के चलते मां गौरी से संबंधित एक बेहद ही विशेष व्रत इस महीने में पड़ता है. इस व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र एवं अपने घर परिवार की खुशी के लिए करती हैं. कहा जाता है इस के चलते जो कोई भी महिला पूरी विधि से मंगला गौरी का व्रत करती है मां मंगला उनसे प्रसन्न होकर अपने श्रद्धालुओं को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
मां मंगला अर्थात पार्वती माता की पूजा के लिए सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होने के पश्चात् पूजा प्रारंभ करें. पूजा स्थल पर लाल रंग का साफ़ कपड़ा बिछा लें. उस पर मां मंगला यानी कि मां पार्वती की कोई तस्वीर, प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें. तत्पश्चात, विधि विधान से मां पार्वती की पूजा करें. इस दिन का व्रत फलाहार रहा जाता है एवं शाम को एक बार अन्न ग्रहण किया जा सकता है.
अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए हमारे देश में अनेक व्रत रखे जाते हैं जिनमें से मंगला गौरी व्रत की अत्यधिक अहमियत मानी गई है. सावन के चलते जहां सोमवार के दिन विशेष रूप से भगवान महादेव की पूजा होती है तो मंगलवार के दिन माता पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है, जो माता पार्वती की ही पूजा करने के लिए होता है. सावन के महीने में माता पार्वती ने अपनी कठोर तपस्या द्वारा और व्रत रखकर भगवान महादेव को पति रूप में प्राप्त किया था इसलिए सभी सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता गौरी का व्रत रखती हैं.
मंगला गौरी व्रत पूजन मंत्र:-
1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
2. कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
3. ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।
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