इम्फाल: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में अब तक 4 आरोपियों को अरेस्ट कर लिया गया है। राज्य के सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा है कि सरकार सभी आरोपियों को सजा-ए-मौत दिलाने के लिए हरसंभव कोशिश करेगी। वहीं, आक्रोशित भीड़ ने गुरुवार (20 जुलाई) शाम को एक आरोपी के घर को आग लगा दी।
बता दें कि, महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना 4 मई को राजधानी इंफाल से तक़रीबन 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में हुई थी। लेकिन, इसका वीडियो, घटना के दो महीने बाद और संसद सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले 19 जुलाई (बुधवार) को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में नज़र आ रहा है कि कुछ लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके परेड करा रहे हैं और उनके साथ अश्लील हरकतें कर रहे हैं। घटना के विरोध में गुरुवार (21 जुलाई) सुबह मणिपुर के चुराचांदपुर में विरोध प्रदर्शन हुआ। हजारों लोगों ने काले कपड़े पहनकर विरोध जताया और आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की। हालाँकि, इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि, दो महीनों तक यह वीडियो सामने क्यों नहीं आया, क्योंकि तब इसपर पहले ही कार्रवाई हो सकती थी और पीड़ितों को जल्द इंसाफ मिल सकता था, लेकिन संसद सत्र से ठीक एक दिन पहले इस वीडियो के वायरल होने को कुछ लोग साजिश भी बता रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि, फ़िलहाल संसद में इसी मुद्दे पर हंगामा हो रहा है और सरकार द्वारा इस मुद्दे पर चर्चा करने की सहमति जताने के बावजूद, विपक्षी दलों के हंगामे के चलते सदन की कार्रवाई बाधित हो रही है। यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि बीते कुछ विधानसभा सत्रों में हम देख चुके हैं कि, कभी चीन बॉर्डर पर कुछ हरकत कर देता है और कभी हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आ जाती है, ऐसे में संसद का पूरा सत्र इन्ही मामलों पर हंगामा करते हुए ख़त्म हो जाता है और महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा नहीं हो पाती। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि, क्या संसद सत्र से ठीक पहले जानबूझकर इस तरह के मुद्दों को हवा दी जाती है, ताकि सदन के अंदर हंगामा हो और सरकार को बिल पारित करने का मौका न मिले।
वहीं, महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वीडियो देखकर हम काफी परेशान हुए हैं। हम सरकार को समय देते हैं कि वो सख्त कदम उठाए। यदि सरकार ने नहीं किया, तो हम कदम उठाएंगे। प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सांप्रदायिक संघर्ष के दौरान महिलाओं का एक औजार की तरह इस्तेमाल करना, कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह संविधान का सबसे घृणित अपमान है। मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को की जाएगी।
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