इम्फाल: मणिपुर सरकार ने राज्य में अवैध अफीम की खेती पर प्रभावी कार्रवाई करते हुए पिछले सात वर्षों में करीब 20,000 एकड़ जमीन पर फैली अवैध फसलों को नष्ट कर दिया है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से लेकर अब तक मणिपुर के 12 जिलों में अफीम की खेती को मिटाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए हैं।
इस अभियान के तहत कंगपोकपी जिले में सबसे अधिक 4,454.4 एकड़ जमीन पर उगाई गई अवैध अफीम की फसल नष्ट की गई। इसके बाद उखरुल जिले में 3,348 एकड़ और चुराचांदपुर जिले में 2,713.8 एकड़ पर फैली फसलों को समाप्त किया गया। यह काम रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके खेती वाले क्षेत्रों की पहचान और मैपिंग के माध्यम से किया गया। मणिपुर रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर ने राज्य पुलिस की 'नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर' विंग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर इन क्षेत्रों में कार्रवाई की।
अन्य जिलों में भी बड़ी मात्रा में अवैध खेती नष्ट की गई, जिनमें टेंग्नौपाल (2,575 एकड़), चंदेल (1,982.5 एकड़), और सेनापति (1,682 एकड़) शामिल हैं। रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में मणिपुर में 28,598.91 एकड़ जमीन पर अफीम की खेती की जा रही थी, लेकिन 2023-24 में यह घटकर 11,288.1 एकड़ रह गई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 की तुलना में 2023-24 में अफीम की खेती में 32.13% की कमी आई है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इस अभियान को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी। उन्होंने कहा कि मणिपुर सरकार अफीम की अवैध खेती को खत्म करने और राज्य को इससे मुक्त कराने के अपने संकल्प पर अडिग है।
इस कोशिश ने राज्य में अफीम की खेती के दायरे को घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भविष्य में इसे पूरी तरह समाप्त करने की दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं।
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