नई दिल्ली: विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने गुरुवार (10 अगस्त) को संसद को संबोधित करते हुए भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को स्पष्ट रूप से आमंत्रित किया। अविश्वास प्रस्ताव पर बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मणिपुर दुनिया भर में "गृहयुद्ध जैसी" चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा, ''जब आप (पीएम मोदी) यूरोप गए थे, फ्रांस में जहां आपको पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, तो हमें भी इससे खुशी हुई थी। उस समय यूरोपीय संसद में मणिपुर की चर्चा हो रही थी, अमेरिका में भी इसकी चर्चा हो रही थी।'
चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने तब बार-बार यह समझाने की कोशिश की थी कि “मणिपुर मुद्दा किसी राज्य या किसी देश तक सीमित नहीं हो सकता है, यह पहले से ही एक वैश्विक आयाम ले चुका है, इसलिए प्रधान मंत्री का हस्तक्षेप अपरिहार्य है, इसकी आवश्यकता है। यही हमारा तर्क था, कोई हर्ज नहीं।" विशेष रूप से, संवेदनशील समय के दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस को विदेशी मीडिया में व्यापक सकारात्मक कवरेज मिली। भाजपा ने विपक्ष के नेता पर निशाना साधते हुए पूछा कि कांग्रेस भारत के खिलाफ क्यों है।
बता दें कि, अधीर रंजन चौधरी का विवादास्पद बयान कपिल सिब्बल द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ बहस करते हुए कश्मीर में ब्रेक्सिट जैसे जनमत संग्रह के आह्वान के एक दिन बाद आया है। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि, 'आखिरकार यह उस समय की स्थिति के संदर्भ में लिया गया राजनीतिक निर्णय था, ठीक है। और अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से हटाना भी एक राजनीतिक निर्णय होना चाहिए। आपके आधिपत्य को याद होगा कि ब्रेक्सिट (Brexit) में क्या हुआ था, जनमत संग्रह की मांग करने वाला कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं था। लेकिन जब आप किसी रिश्ते को तोड़ना चाहते हैं, तो आपको अंततः लोगों की राय लेनी चाहिए। क्योंकि लोग इस निर्णय के केंद्र में हैं। '' हालाँकि, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने सिब्बल की इस दलील को ख़ारिज करते हुए कहा था कि, देश में एक ही संविधान है, उसी के अनुसार पूरा देश चलेगा।
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