इम्फाल: मणिपुर हिंसा को लेकर शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई है। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार ने अदालत से कहा है कि मणिपुर में स्थिति सामान्य हो रही हैं। राज्य में दो दिनों से कोई हिंसा नहीं हुई। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों को लेकर सोमवार (8 मई) को कहा कि उन्हें घर वापस लाया जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मणिपुर हिंसा को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने मणिपुर के मौजूदा हालातों को मानवीय मुद्दा करार दिया है। इसके साथ ही कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सरकार कार्य कर रही है। मगर, सरकार को राहत शिविरों में उचित प्रबंध करना चाहिए। वहाँ रह रहे लोगों को भी राशन और चिकित्सा सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिए।
मणिपुर की स्थितियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय को जबाव देते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) ने कहा है कि बीते 2 दिनों में राज्य में किसी तरह की हिंसा नहीं हुई है। इसलिए कर्फ्यू में छूट भी दी गई। सुरक्षा की दृष्टि से हेलीकॉप्टर और ड्रोन से भी नज़र रखी जा रही है। राहत शिविर में रह रहे लोगों को जरूरी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में SG तुषार मेहता ने कहा कि पैरामिलिट्री फोर्स की 52 कंपनियाँ और असम राइफल्स की 100 से अधिक कंपनियाँ राज्य में सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहीं हैं। हिंसा प्रभावित और अशांत क्षेत्रों में फ्लैग मार्च हो रहा है। SG ने बताया कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। केंद्र सरकार भी इस पूरे मामले में नजर रखे हुए है। सिर्फ धार्मिक स्थलों को ही नहीं, बल्कि राज्य में लोगों और संपत्तियों की भी रक्षा के लिए कोशिशें की जा रहीं हैं।
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