अमित शाह को मणिपुर के कुकी संगठन ITLF का पत्र, रख दी ये बड़ी मांग

अमित शाह को मणिपुर के कुकी संगठन ITLF का पत्र, रख दी ये बड़ी मांग
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इम्फाल: हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर के प्रमुख कुकी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में शांति बहाल करने और एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाकर इसका राजनीतिक समाधान निकालने की बात कही है। इसके साथ ही, पत्र में राज्य के जिरीबाम जिले के फैतोल गांव से एक युवक समेत 2 ग्रामीणों की गिरफ्तारी और केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा 7 कुकी महिलाओं की पिटाई की निंदा की गई है। स्पष्ट रूप से कहें, तो कुकी समुदाय ने अलग राज्य की मांग की है

कुकी संगठन के पत्र में आरोप लगाया गया है कि, 'एल. हेंगजोल गांव के मुखिया के घर में आग लगाने की घटना के बाद 3 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया गया था। सुरक्षा बलों द्वारा पीटी गई 5 कुकी महिलाओं को उपचार के लिए नोनी अस्पताल ले जाना पड़ा। इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने एक कुकी नेता के घर में आग भी लगाई।' वहीं,  इन दोनों घटनाओं के बाद मणिपुर पुलिस ने भी बयान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि गांव में आग बुझाने के प्रयास के दौरान मणिपुर पुलिस और मणिपुर फायर सर्विस पर हमले किए गए। हमलावरों की तलाश में संयुक्त अभियान चलाया गया जहां 3 लोगों को अरेस्ट किया गया। गिरफ्तार 3 व्यक्ति आतंकवादी संगठन से जुड़े थे और बाद में उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया था।

कुकी संगठन ने आरोप लगाया है कि बहुसंख्यक समुदाय (मेइती) राज्य के संसाधनों पर अपना नियंत्रण कर रहा है। कुकी-ज़ोस के खिलाफ जातीय सफाई अभियान चलाया जा रहा है। NIA को लेकर कुकी ने कहा कि एजेंसी, अपने समुदाय की रक्षा करने वालों को आतंकवादी बता रही है और इस प्रकार के आरोपों में उन्हें अरेस्ट किया जा रहा है। जांच एजेंसी को दमन के हथियार के रूप में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि सियासी समाधान होने के बाद वास्तविक मामलों को उठाया जा सकता है।

मणिपुर में टकराव की असली वजह क्या ?

बता दें कि, मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जो कि पूरे मणिपुर का लगभग 10 फीसद क्षेत्र है। वहीं,  जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, की आबादी 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मणिपुर का 90 फीसद हिस्सा पहाड़ी है, जिसमे केवल कुकी-नागा जैसे आदिवासियों (ST) को ही रहने और संपत्ति खरीदने की अनुमति है, ऐसे में मैतेई समुदाय के लोग महज 10 फीसद इलाके में रहने को मजबूर हैं। उन्होंने ST का दर्जा माँगा था, जिसे हाई कोर्ट ने मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन इससे कुकी समुदाय भड़क उठा और विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। यही हिंसा की जड़ रही।

 

बताया जाता है कि, कुकी समुदाय के अधिकतर लोग धर्मान्तरित होकर ईसाई बन चुके हैं और वे घाटी पर अफीम की खेती करते हैं, इसलिए वे घाटी में अपना एकाधिकार रखना चाहते हैं और किसी को आने नहीं देना चाहते। विदेशी फंडिंग और मिशनरियों के इशारे पर चलने वाले अधिकतर NGO इन्ही कुकी-नागा लोगों को भड़का रहे हैं। इन कुकी समुदाय को खालिस्तानियों का भी साथ मिल रहा है, कुकी समुदाय का एक नेता कनाडा जाकर खालिस्तानी आतंकियों से मिल भी चुका है, जहाँ से उन्हें फंडिंग और हथियार मिले थे। वहीं, म्यांमार और चीन भी कुकी लोगों को मैतेई से लड़ने के लिए हथियार दे रहे हैं।

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