नई दिल्ली: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अब गिनती के ही दिन शेष हैं और हर दिन हो रही घोषणाएं इस चुनावी माहौल को और भी दिसलचस्प बना रही हैं। अब दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब अरविंद केजरीवाल ने जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी रैली के दौरान मनीष सिसोदिया को आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से डिप्टी मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया। मनीष सिसोदिया, जो 2015 से 2023 तक दिल्ली के डिप्टी सीएम रह चुके हैं, दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा देने और 17 महीने जेल में बिताने के बाद जमानत पर रिहा हुए हैं। इसके बाद दबाव के कारण उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। इस बार, वह पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका मुकाबला बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस के फरहाद सूरी से है।
जंगपुरा सीट आम आदमी पार्टी के लिए रणनीतिक महत्व रखती है। यहां 2013 से AAP का वर्चस्व कायम है। अरविंद केजरीवाल ने रैली में सिसोदिया की तारीफ करते हुए उन्हें अपना सेनापति और सबसे प्यारा भाई बताया। उन्होंने यह भी दावा किया कि जंगपुरा का विकास सिसोदिया के नेतृत्व में 10 गुना तेज होगा। केजरीवाल ने रैली में लोगों को चेतावनी दी कि गलती से भी विपक्षी दलों को मौका न दें, क्योंकि बीजेपी के विधायकों ने अपने क्षेत्रों में विकास कार्य ठप कर दिए हैं। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि अगर 24 घंटे बिजली चाहिए, तो झाड़ू का बटन दबाएं, और अगर पावर कट का अनुभव करना है, तो कमल का।
मनीष सिसोदिया को लेकर अरविंद केजरीवाल के दावों के बीच जनता के मन में सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली सरकार के अधिकारियों और AAP विधायकों के बीच विवादों की खबरें अक्सर आती हैं। ऐसे में क्या सचमुच जंगपुरा के लोगों को उपमुख्यमंत्री के रूप में सिसोदिया से फायदा होगा, यह सोचने पर मजबूर करता है। सिसोदिया ने हाल ही में मीडिया को दिए एक बयान में आरोप लगाया था कि जेल में रहते हुए बीजेपी ने उन्हें पार्टी ज्वाइन करने और दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा कि उनसे AAP के विधायकों को तोड़ने की बात की गई थी। इस आरोप को अरविंद केजरीवाल ने भी कई बार दोहराया है। हालाँकि, जब केजरीवाल से कोर्ट में इन आरोपों को साबित करने की चुनौती दी गई, तो उन्होंने नितिन गडकरी और अरुण जेटली जैसे भाजपा नेताओं से लिखित में माफ़ी मांग ली और फिर वे इस तरह के बयान देने से बचने लगे।
लेकिन, अब केजरीवाल की घोषणा के बाद राजनीतिक पंडितों के बीच यह चर्चा भी तेज हो गई है कि चुनावी नतीजे चाहे जो भी हों, क्या सिसोदिया वाकई डिप्टी सीएम बनेंगे? अगर अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री नहीं बन पाते, तो क्या आतिशी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी? और उस स्थिति में सिसोदिया की भूमिका क्या होगी? दिलचस्प बात यह है कि मनीष सिसोदिया का कार्यकाल एक डिप्टी सीएम के रूप में इतना प्रभावी रहा है कि उनकी तुलना किसी मुख्यमंत्री से करना भी गलत नहीं होगा। अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक अनुभव के मामले में उनसे पीछे देखा जा सकता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री पद के लिए सिसोदिया को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जा सकती?
अरविंद केजरीवाल की इस घोषणा ने जहां आप कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है, वहीं राजनीति के जानकारों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यह कदम आप के लिए एक मजबूत रणनीतिक चाल है, या फिर यह केवल सिसोदिया को पार्टी में बनाए रखने का प्रयास है। जंगपुरा में इस बार का चुनाव न केवल सिसोदिया के राजनीतिक भविष्य के लिए अहम है, बल्कि यह तय करेगा कि आप की सत्ता पर पकड़ कितनी मजबूत है।