नई दिल्ली : कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह(Manmohan Singh) पर भी शिकंजा कसता दिखाई दे रहा है. इसकी संभावनाएं इसलिए बन रही है क्योंकि लोक लेखा समिति(पीएसी ) ने उस विवादित रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसमें मनमोहन सिंह पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे.
गौरतलब है कि दिल्ली में 3-14 अक्टूबर 2010 के बीच राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में राष्ट्रमंडल खेल समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी सहित कई कांग्रेसियों पर भी कई संगीन आरोप आरोप लगे थे.इसमें मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए सुरेश कलमाड़ी को इन गेम्स के आयोजन वाली कमेटी का अध्यक्ष चुनने और इस दौरान हुए भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े किए गए थे.एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार पीएसी ने 14 जनवरी 2005 को तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रियों की बैठक और इसमें दिए गए खेल मंत्रालय के बयानों को भी सिरे से खारिज कर दिया है.
यहां यह बताना उचित है कि रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया है कि जब तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के पास इस प्रोजेक्ट को लेकर बात आई थी तो उन्होंने इसकी जिम्मेदारी दूसरे को देने की बजाए पहले से निर्धारित कार्यक्रम केअनुसार इसको आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था. बल्कि रिपोर्ट बनाने में भी करीब दो माह की देरी की थी.रिपोर्ट कहती है कि राजनीतिक दबाव की वजह से इस दौरान केबिनेट सचिवालय जिम्मेदारी तय करने में भी नाकाम रहा था.
बता दें कि भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में बनी पीएसी ने इस बाबत सामने आई कैग की रिपोर्ट का गहनता से अध्ययन कर कॉमनवेल्थ्ा गेम्स के आयोजन में अनियमितता बरतने की बात कहते हुए सीबीआई से इसकी दोबारा जांच करने को भी कहा था. इस बारे में करीब 33 मामले दर्ज किए गए थे जिसमें से कुछ सुरेश कलमाड़ी और कुछ उनके करीबी सहयोगियों पर दर्ज थे.
यह भी देखें
GST बिल को मनमोहन सिंह ने बताया गेम चेंजर
कांग्रेस छोड़ बीजेपी के शरण में एस एम कृष्णा