नई दिल्ली : सरकारों में मंत्रियों का आना जाना तो लगा रहता है, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो अपने कार्यकाल में कुछ ऐसे फैसले कर जाते हैं कि वे हमेशा याद रखे जाते हैं. इसी श्रेणी में मनोहर पर्रिकर का भी नाम शामिल हैं जिन्होंने देश के रक्षा मंत्री रहते हुए कठोर फैसलों से कुछ उपलब्धियां हासिल की जिन्हें उनके नाम दर्ज किया जाएगा.
गौरतलब है कि मोदी सरकार की कैबिनेट में रक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभालने वाले मनोहर पर्रिकर अब फिर गोवा की राजनीति में लौट गए हैं. सादगीपूर्ण जीवनशैली, साफ छवि के लिए जाने जाने वाले पर्रिकर ने रक्षा मंत्रालय में आने के बाद कई बड़े फैसले लिए.
सबसे पहले सर्जिकल स्ट्राइक की बात करें. उरी में हुए आतंकी हमले में जवानों की शहादत का बदला अक्टूबर 2016 में भारत ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को ढेर करके लिया था. सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भारतीय सेना के जाबांजों ने पाकिस्तान कई आतंकी शिविर ध्वस्त किए थे. तब इस पूरे ऑपरेशन पर रात भर रक्षा मंत्री पर्रिकर नजर रखे हुए थे. इसी तरह भारतीय सेना मणिपुर में आतंकियों के खिलाफ पिछले साल मई महीने में म्यांमार सरहद पर खुफिया रिपोर्ट के बाद एक सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन पर मनोहर पर्रिकर की पैनी नजर थी.
यही नही लंबे समय से लटके राफेल फाइटर प्लेन के सौदे को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में ही हरी झंडी मिली. सितंबर 2016 में भारत और फ्रांस के बीच राफेल फाइटर प्लेन के सौदे पर हस्ताक्षर हुए. इसके अलावा सैनिकों की 40 साल पुरानी 'वन रैंक वन पेंशन' की मांग को अमल के रास्ते पर ले जाने में उनकी बड़ी भूमिका देखी गई.OROP को सुलझाना मनोहर पर्रिकर की एक बड़ी उपलब्धि है. यह पर्रिकर की दृढ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी की घटनाओं पर पाक को उसके दुस्साहस का हर बार करारा जवाब दिया गया.
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