ये 5 चीज़ें मंसूर अली खान को बनाती हैं 'टाइगर पटौदी'

ये 5 चीज़ें मंसूर अली खान को बनाती हैं 'टाइगर पटौदी'
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मंसूर अली खान पटौदी भारत के सबसे महत्वपूर्ण क्रिकेट व्यक्तित्वों में से एक थे. 5 जनवरी 1941 को पैदा हुए मंसूर  22 सितंबर 2011 को दुनिया छोड़कर जा चुके हैं. जब-जब टाइगर पटौदी का बर्थडे या बरसी आती है, उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से याद आने लगते हैं. आज हम आपको सुनाएंगे टाइगर पटौदी के जीवन से जुड़े 5 बेहतरीन किस्से...


राजाओं जैसे ठाट


मंसूर अली खान एक महल में रहते थे जिसमें 150 कमरे थे और 100 से अधिक नौकर थे, इनमे से 7 से 8 नौकर तो सिर्फ बचपन में पटौदी को संभालने के लिए ही थे. इन सब के अलावा उनके महल में विशाल मैदान, अस्तबल और गेराज भी थे, कुल मिलाकर पटौदी ने राजाओं जैसा जीवन बिताया था.

कैसे बने 'टाइगर' पटौदी


क्रिकेटर मंसूर अली खान को उनके साथी खिलाड़ियों ने टाइगर पटौदी नाम दिया था. क्षेत्ररक्षण करते समय मैदान में उनकी चपलता को देखते हुए ये नाम दिया गया था. उनके साथी खिलाड़ी बताते हैं कि पटौदी चीते की फुर्ती से गेंद की और लपकते थे.

एक आंख खोकर भी गज़ब की एकाग्रता


यह वो समय था जब कार में बैठना अधिकतर लोगों के लिए एक सपने की तरह था, उसी समय 1 जुलाई 1961 को एक कार एक्सीडेंट में पटौदी ने अपनी दाहिनी आंख हमेशा के लिए खो दी. लेकिन इसके बाद भी पटौदी ने हार नहीं मानी और प्रैक्टिस जारी रखी, इस एक्सीडेंट के 6 महीने बाद उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ पदार्पण किया था.

विदेश में पहली जीत दिलाने वाला कप्तान 


21 साल 77 दिन की उम्र में उनके प्रदर्शन को देखते हुए पटौदी को भारतीय टीम की कमान सौंप दी गई थी. सबसे कम उम्र में कप्तान बनने का उनका यह रिकॉर्ड 2004 में टुटा, जब टटेंडा टैबू ज़िम्बावे के कप्तान बने. भारत को विदेशी धरती पर पहली सीरीज जीतने का श्रेय भी पटौदी को ही जाता है, उन्ही के नेतृत्व में भारत ने 1967 में न्यूज़ीलैंड को उसी के घर में हराया था.

4 साल तक बॉलीवुड अभिनेत्री को भेजा गुलाब 


ये तो सभी जानते हैं कि नवाब पटौदी ने बॉलीवुड अभिनेत्री शर्मीला टैगोर से शादी की है. लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता है कि पटौदी ने शर्मीला की हाँ सुनने के लिए उन्हें 4 साल तक लगातार गुलाब के फूल भेजे. उनकी बेटी सोहा अली खान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता ने उनकी माँ को इम्प्रेस करने के लिए पहले एक-एक करके सात फ्रिज भेजे थे, लेकिन उससे काम नहीं बना, इसके बाद उन्होंने 4 साल  गुलाब भेजे और तब जाकर नवाब को उनका प्यार मिला. 

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