वाराणसी. विख्यात और पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार डॉ मनु शर्मा का बुधवार को वाराणसी स्थित उनके घर पर निधन हो गया. 90 वर्षीय डॉ शर्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ रत्नों में से एक थे. परिवार के लोगों का शहर के बाहर होने की वजह से मनु शर्मा का अंतिम संस्कार गुरुवार को मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा.
अंतिम यात्रा सुबह आठ से आवास से घाट के लिए प्रस्थान करेगी. मुखाग्नि उनके बड़े बेटे शरद शर्मा देंगे. डा. मनु शर्मा के सभी परिजन और स्वजन जुट चुके हैं. शर्मा के छोटे भाई अमरनाथ शर्मा ‘डैडी’ ने बताया कि विगत एक वर्ष में उन्हें चार बार हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, लेकिन कभी वेंटिलेटर पर रखने की नौबत नहीं आई.
वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. पिछले एक सप्ताह से वह कुछ ज्यादा कमजोरी महसूस कर रहे थे. पिछले महीने शरद पूर्णिमा के दिन उन्होंने 90वां जन्मदिन अस्पताल में मनाया था. हालात में सुधार होने पर दो दिन बाद घर लाया गया था. इसके बाद से उन्होंने खाना छोड़ दिया था.
मनु शर्मा का जन्म 1928 में फैजाबाद जिले में हुआ था. मनु शर्मा का जन्म 1928 को यूपी के फैजाबाद जिले में हुआ था. गरीबी और आभाव का जीवन यापन करने वाले स्व. शर्मा ने अपने जीवन की पहली सीढ़ी बनारस के डीएवी कॉलेज में लाइब्रेरियन से शुरू की.
लाइब्रेरी में पुस्तकों को संवारते हुए वहीं उन्होंने पौराणिक उपन्यासों का आधुनिक संदर्भ दिया. यहीं लेखन की ऊर्जा कृष्णदेव को प्रभावित कर गई. यही नहीं जनवार्ता के काशी से प्रकाशित होने समय में उनके लेख प्रतिदिन प्रकाशित होते थे और ये इतने प्रभावशाली होते थे कि आपातकाल में उनके लेखों पर बैन लगा दिया गया था.
मनु शर्मा को इसी वर्ष सीएम अखिलेश यादव ने पद्मश्री से नवाजा था. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र से शुरू किए स्वच्छता अभियान के दूसरे दौर पर आने पर अपबे नौ रत्नों में उन्हें शामिल किया था. वैसे तो मनु शर्मा ने अपने जीवनकाल में कई पुस्तकें लिखीं लेकिन उनकी लिखी 'लौट आए गांधी' और 3000 पेजों की 8 खंड की 'कृष्ण की आत्मकथा' बेहतरीन कृतियां रही हैं.
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