भारत में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी गतिविधियों की रफ्तार फरवरी में उसके बीते महीने के मुकाबले सुस्त रही। फिलहाल, कुल-मिलाकर परिस्थितियां मजबूत बनी हुई हैं। इसके साथ ही डिमांड और आउटपुट में सुस्ती की वजह से फरवरी में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में कमी देखने को मिली। इसके साथ ही इस साल के पहले महीने यानी जनवरी में फैक्टरियों से जुड़ी गतिविधियां आठ माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।वहीं IHS Markit का मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) फरवरी में गिरावट के साथ 54.5 पर आ गया, जो जनवरी में 55.3 के स्तर पर पहुंच गया था।
PMI के संदर्भ में 50 से ऊपर का आंकड़ा वृद्धि जबकि इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है। वहीं IHS Markit में प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ''घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मजबूत ऑर्डर के कारण फरवरी में भारत के कारखानों का फायदा हुआ। वहीं डिमांड बढ़ने से कंपनियों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है।'' हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक फरवरी में नए ऑर्डर से जुड़ा सब-इंडेक्स 57.5 पर आ गया। इसके साथ ही यह मार्च 2005 में इंडेक्स की शुरुआत के बाद से अब तक लंबी अवधि के औसत से ऊपर बना हुआ है। इससे कंपनियों को अच्छे उत्पादन में मदद मिली।
फिलहाल , कोरोनावायरस के चीन के बाहर के देशों में फैलने से जुड़ी चिंताओं के कारण फरवरी में दूसरे देशों से डिमांड और उम्मीद जनवरी के मुकाबले कमजोर रहा। इससे नियुक्ति से जुड़ी गतिविधियां तीन माह के निचले स्तर पर पहुंच गई। डी लीमा ने कहा, ''COVID-19 के प्रसार की वजह से एक्सपोर्ट और सप्लाई चेन को लेकर आशंकाएं उत्पन्न हो गई हैं और भारत में सामानों का उत्पादन करने वालों के लिए चिंता की बात है। वहीं बिजनेस समूह आने वाले समय के परिदृश्य को लेकर कम आश्वस्त नजर आ रहे हैं और इसलिए हायरिंग गतिविधियां थम गई हैं।'' दूसरी ओर कीमतों की बात की जाए तो इनपुट लागत और आउटपुट लागत में वृद्धि की रफ्तार पिछले माह सुस्त रही, जो दिखाता है कि फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति बीते महीनों की तुलना में नरम रहेगी।
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