'कई मुख्यमंत्रियों ने अपना बंगला मनमाफिक सजाया है..', उद्धव सेना ने किया केजरीवाल के 'शीशमहल' का बचाव

'कई मुख्यमंत्रियों ने अपना बंगला मनमाफिक सजाया है..', उद्धव सेना ने किया केजरीवाल के 'शीशमहल' का बचाव
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मुंबई: दिल्ली विधानसभा चुनाव का मैदान इस बार और भी गर्म हो गया है। भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह चुनाव जिंदगी और मौत का खेल बन चुका है, वहीं कांग्रेस भी इस मुकाबले में अपनी खोई जमीन पाने की कोशिश कर रही है। दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और AAP ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लगा रही हैं। भाजपा भी AAP पर पूरी तरह हमलावर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। केजरीवाल के बंगले (शीशमहल) पर 45 करोड़ रुपये खर्च करने को भाजपा ने जनता के पैसे की बर्बादी बताया है। हालांकि, उद्धव गट के मुखपत्र सामना में इस मुद्दे पर केजरीवाल का बचाव किया है। सामना में सवाल उठाए गए हैं कि खुद केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों में सरकारी बंगलों और अन्य परियोजनाओं पर कितना पैसा खर्च हुआ है, इस पर चर्चा क्यों नहीं होती?  

सामना में कहा गया है कि, दिल्ली में केजरीवाल के बंगले को लेकर विवाद चल ही रहा है, लेकिन देश के अन्य हिस्सों में मुख्यमंत्री और मंत्रियों द्वारा सरकारी बंगलों पर खर्च की गई भारी रकम की भी चर्चा हो रही है। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास एक नहीं, बल्कि तीन सरकारी बंगले हैं। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी शिंदे ने दो बंगलों को अपने पास रखा है।  

प्रधानमंत्री मोदी का निवास "7 लोक कल्याण मार्ग" सात-आठ सरकारी बंगलों को मिलाकर बनाया गया है। यह विशाल परिसर हजारों वर्ग मीटर में फैला है और इस पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत प्रधानमंत्री के लिए एक नया निवास बनाया जा रहा है, जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपये है।  

इसके साथ ही सामना में उद्धव सेना ने प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राओं और वहां दिए जाने वाले महंगे तोहफों पर भी सवाल उठाए हैं। कहा गया है कि, प्रधानमंत्री ने हाल ही में 15,000 करोड़ रुपये का एक विशेष विमान खरीदा है, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री सामान्य एयर इंडिया की उड़ानों से यात्रा करते थे। उद्धव गुट का कहना है कि यह फिजूलखर्ची ऐसे समय में हो रही है, जब देश के 37 लाख बच्चों ने गरीबी के कारण स्कूल छोड़ दिया है, जिनमें से 16 लाख लड़कियां हैं।  

सामना में देश में गरीबी को लेकर भी सरकार पर वार किया गया है। कहा गया है कि, देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त भोजन देने की योजना चल रही है, लेकिन दूसरी ओर महलनुमा बंगलों और महंगे तोहफों पर खर्च की गई रकम सवाल खड़े कर रही है। यह विरोधाभास उस वक्त और गहरा हो जाता है, जब बच्चों की शिक्षा और देश के विकास की चर्चा होती है।  

चुनाव का माहौल गर्म है और आरोपों का सिलसिला जारी है। जनता इस सबके बीच सवाल पूछ रही है कि क्या वाकई उनके पैसे का सही उपयोग हो रहा है या यह केवल राजनीति का खेल बनकर रह गया है।

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