देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद कांग्रेस में कलह मची थमने का नाम नहीं ले रही है. चुनाव परिणाम सामने आने के बाद से हरीश रावत और प्रीतम सिंह पर गुटबाजी कर चुनाव हारने और हराने के इल्जाम लगे तो सियासी घमासान छिड़ गया. केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष के पदों पर की गई नियुक्ति को लेकर कांग्रेस के 8 से 10 विधायकों ने नाराजगी जताई जा रही है.
विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के पीछे कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी को ही कारण माना गया था. नई नियुक्तियों के बाद पैदा हुई नाराजगी का मामला आलाकमान तक भी पहुंच गया है. उत्तराखंड में चुनाव से कुछ महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गणेश गोदियाल की जगह अब करण माहरा को यह जिम्मा सौंपा गया है. माहरा पूर्व सीएम हरीश रावत के साले हैं और इस विधानसभा चुनाव में रानीखेत की सीट से चुनाव हार गए हैं.
बता दें कि उत्तराखंड में तीनों ही बड़े पदों पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कुमाऊं के नेताओं की नियुक्ति कर दी है और इससे गढ़वाल मंडल के कई नेता काफी नाराज हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 19 MLA जीत कर आए हैं, पर नई नियुक्तियों से कई नेता खफा हैं. ऐसा लगभग तय माना जा रहा था कि अध्यक्ष का पद कुमाऊं के खाते में गया तो नेता प्रतिपक्ष का पद गढ़वाल मंडल को मिलेगा. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष के पद पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की नियुक्ति लगभग पक्की मानी जा रही थी, मगर शीर्ष नेतृत्व ने कांग्रेस में वापसी करने वाले यशपाल आर्य को यह पद दे दिया गया है.
न शिवपाल, न आज़म खान, आखिर क्या चाहते हैं अखिलेश यादव ?
यूपी विधान परिषद में ZERO पर आई कांग्रेस ! आज़ादी के बाद पहली बार इतनी बदतर हालत
क्या गुजरात चुनाव से पहले कांग्रेस से जुड़ेंगे प्रशांत किशोर ?