लॉकडाउन और देशव्यापी बंद के बाद केंद्र सरकार की अपील पर ज्यादातर निजी स्कूलों ने एक साथ तीन महीने की फीस नहीं लेने का फैसला किया है. फीस नहीं बढ़ाने पर भी स्कूल विचार करेंगे. कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार ने निजी स्कूलों से वार्षिक फीस नहीं बढ़ाने और तीन महीने की जगह एक-एक महीने की फीस लेने की अपील की थी.
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अपने बयान में मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, 'मैंने मौजूदा मुश्किल हालात को देखते हुए निजी स्कूलों से फीस नहीं बढ़ाने की अपील की थी. मुझे खुशी है कि हर राज्य के शिक्षा विभाग अभिभावकों और स्कूलों के हितों की रक्षा के लिए लगन से काम कर रहे हैं. फीस का मामला राज्य सरकार को देखना है.'
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इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'स्कूलों के लिए संविदाकर्मियों समेत अपने सभी कर्मचारियों को वेतन देना अनिवार्य है. अगर उनके पास धन की कमी है, तो वे अपने मूल संगठन से धन की मांग कर सकते हैं.' साथ ही, निशंक ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान छात्रों के साथ ही शिक्षकों को भी प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा सी-आइईटी और एनसीईआरटी की तरफ से छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए सात अप्रैल से एक महीने का वेबिनार शुरू किया गया है. इस वेबिनार में ई-सामग्री, उपयोग और मोबाइल एप्लिकेशन के निर्माण और प्रसार से संबंधित विषयों की जानकारी दी जा रही है.
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