हम अपना काफी वक्त इंटरनेट यूजर के तौर पर सोशल साइट्स पर और ब्राउजिंग करते हुए बिताते हैं लेकिन हम अपनी ऑनलाइन ऐक्टिविटी साइट्स के साथ शेयर करें ऐसा जरूरी नहीं है. इस बारे में आपके लिए बुरी खबर यह है कि आपका हर डिजिटल मूव टैक ही नहीं किया जाता बल्कि एनालाइज और स्टोर किए जाने के साथ-साथ छोटी-बड़ी कंपनियों को डेटा के तौर पर बेचा भी जा सकता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है और ज्यादातर यूजर्स को इससे फर्क नहीं पड़ता, जबकि फर्क पड़ना चाहिए. इंटरनेट से कनेक्ट होने पर आपकी गतिविधियां किसी और की निगरानी में हों तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं.सबसे बड़े सर्च इंजन या इंटरनेट कंपनी गूगल की बात करें तो इंटरनेट सर्च से लेकर कैलेंडर, स्मार्ट असिस्टेंट, मैप्स और लोकेशन डेटा तक यह कंपनी यूजर्स की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी है. गूगल को यूजर के बारे में काफी कुछ पता होता है, जैसे- उसे क्या खाना पसंद है, वह कौन सी ट्रेन या फ्लाइट से जा रहा है, वह ज्यादा वक्त कहां बिताता है, वह इंटरनेट पर क्या ज्यादा सर्च करता है, वह किन जगहों पर जाता है. गूगल के प्रॉडक्ट इस्तेमाल करने वालों के बारे में कंपनी उनके किसी अच्छे दोस्त से भी ज्यादा जानती है. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से
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हाल ही में कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल जैसा मामला सामने आने के बाद डेटा को लेकर भरोसा तो किसी पर भी नहीं करना चाहिए. हम आपको गूगल या इसके प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल बंद करने की सलाह नहीं देंगे लेकिन कुछ तरीके हैं, जिनसे आप अपने गूगल डेटा को लीक होने और गूगल को आपको ट्रैक करने से रोक सकते है. इसके लिए आपको कुछ सेटिंग्स या आदतों में बदलाव करने होंगे. सबसे पहले ये सेटिंग्स चेंज करें,ज्यादार यूजर ईमेल अकाउंट इस्तेमाल करते हैं और कुछ को पास दो या तीन तक ईमेल अकाउंट होते हैं. आपको शायद जानकर अजीब लगे लेकिन कई ऐसे तरीके हैं, जिनसे ट्रैक किया जा सकता है कि आपने कोई मेल ओपन किया है या नहीं, या फिर कोई मेल आपने कितनी बार ओपन किया है.आपकी प्रिवेसी को धोखा देने वाली यह टेक्निक कई ऑर्गनाइजेशन और सर्विसेज अपनाती हैं. इसे 'पिक्सल ट्रैकिंग' कहा जाता है और जीमेल पर इसे ब्लॉक करना आसान है. जीमेल अकाउंट की सेटिंग्स में जाकर नीचे स्क्रॉल करें तो एक इमेजेस रो दिखेगी. इसमें 'Ask before displaying external images' सेलेक्ट करें. अब आपको फोटो नहीं दिखेगी तो पिक्सल भी ट्रैक नहीं किए जा सकेंगे.
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गूगल जानता है कि आप कब कहां गए या कहां कितना वक्त बिताया. इसमें मदद करता है इसका 'लोकेशन हिस्ट्री' फीचर, जिसे ऑफ किया जा सकता है. गूगल का कहना है कि यह हर वह जगह ट्रैक करता है, जहां आप डिवाइस लेकर जाते हैं. भले ही आप कोई गूगल सर्विस न इस्तेमाल कर रहे हों. इसके लिए आपको myaccount.google.com पर जाने के बाद गूगल अकाउंट> डेटा और पर्सनलाइजेशन के बाद लोकेशन हिस्ट्री में जाना है और टॉगल को Paused पर स्लाइड कर देना है गूगल अब केवल सर्च इंजन नहीं, बल्कि एक स्मार्ट असिस्टेंट भी है.आप वॉइस कमांड्स देकर भी गूगल सर्च कर सकते हैं और इसके लिए आपको केवल OK Google कहना होता है. खास बात तो यह है कि Ok Google के बाद आप जो भी सवाल या कीवर्ड बोलकर पूछते हैं, गूगल उसकी रिकॉर्डिंग भी सेव कर रहा है. अगर आप नहीं चाहते कि ऐसा हो (जो जाहिर सी बात है, आप नहीं चाहेंगे) तो गूगल माय अकाउंट पेज पर डेटा और पर्सनलाइजेशन में जाएं. यहां वॉइस ऐंड ऑडियो ऐक्टिविटी पर क्लिक करने के बाद टॉगल को Paused कर दें.
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अगर आप जीमेल इस्तेमाल करते हैं तो गूगल आपके परचेज यानी खरीददारी को भी ट्रैक करता है. गूगल सपॉर्ट पेज का कहना है कि कंपनी गूगल सर्विसेज की जैसे-गूगल प्ले स्टोर, गूगल एक्सप्रेस या गूगल असिस्टेंट की मदद से प्लेस किए गए ऑर्डर्स को कंपाइल करती है, और जीमेल पर इसके लिए रसीद और कन्फर्मेशन भी आता है. अगर आप इस लिस्ट से चीजों को डिलीट कर सकते हैं. इसके लिए माय अकाउंट पेज पर जीमेल कन्फर्मेशंस में जाएं। यहां जो भी आइटम आप लिस्ट से हटाना चाहें, उसपर क्लिक करने के लिए रिमूव परचेज> व्यू ईमेल में स्क्रीन के दाईं ओर दिख रहे तीन डॉट्स पर क्लिक करें और 'डिलीट दिस मेसेज' पर क्लिक कर दें. ऐसा आपको हर आइटम के लिए बार-बार करना होगा.गूगल सर्च आपके सर्च की-वर्ड को ट्रैक करता है और इससे जुड़े ऐड्स दिखाता है, तो क्यों न यह सर्च इंजन छोड़ दें. इसकी जगह आप DuckDuckGo जैसा सर्च इंजन इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपको ट्रैक नहीं करता। अगर आपको गूगल का इस्तेमाल ही करना है तो बेहतर होगा जिस ब्राउजर से आपने अकाउंट में लॉग-इन किया है, उसकी जगह दूसरे ब्राउजर पर गूगल सर्च करें. गूगल सर्च करते वक्त आप लॉग-इन न हों या इनकॉग्निटो मोड में सर्च करें तब भी बात बन सकती है.
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अपने अकाउंट को हैक होने से बचाना सबसे जरूरी है, इसके लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को ऑन किया जा सकता है. इस तरह अकाउंट में नए डिवाइस से लॉग-इन करने पर आपके नंबर पर ओटीपी आएगा, जिसके बिना लॉग-इन नहीं किया जा सकेगा. इसके लिए गूगल माय अकाउंट पेज पर जाने के बाद सिक्यॉरिटी में जाएं. यहां 2-स्टेप वेरिफिकेशन चुनें और दोबारा पासवर्ड डालें. अब ऑथेंटिकेटर ऐप सेटअप करने के लिए स्क्रीन पर दिख रहे स्टेप्स फॉलो करें. साफ है कि गूगल आपके बारे में बहुत कुछ जानता है. ऐसे में सबसे जरूरी बाकियों से अपना बेसिक डेटा भी छुपाकर रखना है। गूगल कुछ मामलों में आपके बेसिक डीटेल्स बाकियों से शेयर कर देता है. इसे समझने और रोकने के लिए aboutme.google.com पर जाएं. यहां अपने बारे में दिख रही अलग-अलग इंफॉर्मेशन पर जाएं और सेटिंग्स से 'Hidden from other users' सेलेक्ट करें. इतने के बाद आप काफी हद तक कम से कम गूगल की ट्रैकिंग से दूर होंगे.
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