नई दिल्ली: डेटा लीक को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारियां शुरू हो चुकी है. गुरुवार को पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल पर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट राज्यसभा और लोकसभा में पेश की जानी वाली है. संसदीय समीति ने डेटा लीक को रोकने के लिए कानून में कई तरह के प्रावधानों की अपील की जाने वाली है. जिसके अंतर्गत बोलै गया है कि अगर डेटा उल्लंघन किया गया यानी अगर डेटा लीक हुई तो फिर कंपनियों पर 15 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जाने वाला है. या फिर कंपनी से जुर्माने के तौर पर टर्न ओवर का 4% रकम ली जाने वाली है. कंपनियों को छोटे उल्लंघनों के लिए 5 करोड़ रुपये या फिर ग्लोबल टर्न ओवर की 2 फीसदी भागेदारी देनी होने वाली है.
अगर इन प्रावधानों को गवर्नमेंट कानून में शामिल कर लेती है तो फिर फेसबुक, इंस्टाग्राम, गुगल और एमॉजन जैसी कंपनियों को इंडिया में डेटा को लेकर बहुत सतर्क रहने की जरुरत है. पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल में 2019 के ही सारे प्रावधान हैं. साथ ही इसे यूरोपियन यूनियन जेनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के अंतर्गत तैयार किया गया है.
ये बिल 2 वर्ष पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश कर दिया था. 16 दिसंबर को स्थायी समिति को भेजने के लिए है. समिति की रिपोर्ट लोकसभा में इसके अध्यक्ष पीपी चौधरी द्वारा प्रस्तुत कर दी गई थी. डेटा लीक को लेकर कंपनी को उल्लंघन के बारे में 72 घंटों के अंदर बताना जरुरी है. डेटा प्रोटेकशन अथॉरिटी (DPA) तब उन व्यक्तियों के लिए पर्सनल डेटा उल्लंघन और नुकसान की गंभीरता को ध्यान में रखेगा जिनका डेटा लीक हो सकते है. यदि कोई कंपनी व्यक्तिगत डेटा या बच्चों के डेटा को संसाधित करने के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है, या निर्धारित नियमों के विरुद्ध भारत के बाहर डेटा स्थानांतरित करती है, तो उस पर पिछले वित्तीय वर्ष के कुल विश्वव्यापी कारोबार का 15 करोड़ रुपये या 4 प्रतिशत तक का जुर्माना लगाया जाने वाला है.
जहां इस बात का पता चला है कि कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर जल्द ही बहस शुरू होने वाली है. अगर यह पारित हो जाता है, तो यह कानून पर्सनल और नॉन-पर्सनल डाटा दोनों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है. इस कानून के प्रावधानों के अंतर्गत लगाए जाने वाले दंड और मुआवजे के फैसले के उद्देश्य से अजूडिकैटिंग अधिकारी नियुक्त करना. साथ ही किसी भी मांग को सुनने और निपटाने के लिए अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना करना. प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए जुर्माना और दंड लगाने का प्रावधान.
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