कोडरमा: झारखंड के कोडरमा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जयनगर के तिलोकरी गाँव से तीन हिंदू नाबालिग लड़कियों का अपहरण करने के आरोप में 32 वर्षीय मंजूर आलम को गिरफ्तार किया गया है। मंजूर आलम, जो हजारीबाग जिले के बरही के गरजामु का रहने वाला है, ने इन बच्चियों को लालच देकर अगवा किया। घटना 10 दिसंबर 2024 की है, जब आलम ने नौ वर्षीय सुमन, उसकी बहन अलका (7) और उनकी दोस्त कुसुम (उम्र अज्ञात) (सभी नाम बदले हुए) को चाउमीन खिलाने का लालच दिया। इसके बाद उसने उन्हें जबरन अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया और सुनसान बदानो जंगल में ले गया, जो हजारीबाग के चलकुशा इलाके में स्थित है।
आरोपी ने बच्चियों को जंगल में बंधक बनाकर रखा और उन्हें धमकी दी कि अगर वे भागने की कोशिश करेंगी या मदद के लिए आवाज उठाएंगी तो उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाया जाएगा। इस बीच, सुमन ने साहस दिखाया और किसी तरह वहां से भाग निकली। उसने पास के ग्रामीणों को सचेत किया और पूरी घटना की जानकारी दी। सुमन की सूचना मिलने के बाद स्थानीय ग्रामीण तुरंत हरकत में आए। उन्होंने जंगल में खोज अभियान चलाया और अन्य दो लड़कियों को बचा लिया। साथ ही, मंजूर आलम को भी घटनास्थल पर पकड़ लिया गया। ग्रामीणों ने आरोपी को एक खंभे से बाँधकर उसकी पिटाई की और फिर उसे चलकुशा पुलिस के हवाले कर दिया।
चलकुशा पुलिस स्टेशन के प्रभारी चित्तरंजन कुमार ने मंजूर आलम की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा, "आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है। उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।" पुलिस अब इस मामले की गहराई से जाँच कर रही है, जिसमें आरोपी के मंसूबों और पृष्ठभूमि की पड़ताल शामिल है। इस घटना ने झारखंड में हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य में हिंदू नाबालिग लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती घटनाएँ चिंता का विषय बन चुकी हैं। स्थानीय समुदायों और हिंदू संगठनों का आरोप है कि जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की सरकार ऐसे मामलों को रोकने में नाकाम रही है।
हिंदू संगठनों ने सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून और बेहतर सुरक्षा उपायों की माँग की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएँ न केवल हिंदू समुदाय के लिए खतरनाक हैं, बल्कि राज्य में सांप्रदायिक तनाव को भी बढ़ावा देती हैं। तीन मासूम बच्चियों के अपहरण की इस घटना ने न केवल बाल सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि धार्मिक आधार पर लक्षित अपराधों की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
आखिर कब तक मासूम बच्चियाँ इस तरह के अपराधों का शिकार होती रहेंगी? सरकार और प्रशासन को अब न केवल कठोर कार्रवाई करनी होगी, बल्कि राज्य में ऐसा माहौल बनाना होगा, जहाँ हर समुदाय के लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।