आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय का आंदोलन तो खत्म हो गया है, लेकिन इस आंदोलन ने कई पार्टियों को अपनी राजनीति चमकाने का मौका दे दिया है। चुनाव के ठीक पहले ही मराठा आंदोलन होने को लेकर एनसीपी और शिवसेना इसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ एक मौके के तौर पर देख रही थीं। इन पार्टियों का मानना था कि इस मुद्दे को लेकर वह आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में केंद्र और राज्य सरकार को घेर सकती हैं। लेकिन बीजेपी ने मराठा समुदाय के समर्थन का फैसला कर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
मराठा आरक्षण आंदोलन : मराठाओं के पक्ष में महाराष्ट्र सरकार
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे को लेकर गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल की एक बैठक बुलाई थी। इसके बाद मराठा आंदोलनकारियों के समर्थन का निर्णय लिया गया। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने इस मुद्दे को लेकर शनिवार को एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। अब बात आती है कि आखिर बीजेपी मराठा समुदाय के आरक्षण को क्यों अपना समर्थन दे रही है। अगर देखा जाए, तो महराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी 31 फीसदी है, ऐसे में अगर बीजेपी इनका समर्थन करती है, तो उसे विधानसभा के साथ—साथ लोकसभा चुनावों में भी इसका फायदा पहुंच सकता है। सरकार में भी मराठा समुदाय की पैठ है और अगर सरकार इसका विरोध करती है, तो उसे सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि मराठा विधायक सरकार से बगावत कर सकते हैं।
थमने का नाम नहीं ले रहा मराठा आंदोलन, सीएम ने बुलाई बैठक
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बहुत सोच—समझकर मराठा आरक्षण के मुद्दे को अपना समर्थन देने का फैसला किया है। ऐसा कर उन्हेांने एक सेफ प्वाइंट खेला है और बॉल बॉम्बे हाईकोर्ट के पाले में डाल दी है। दरअसल, फडणवीस ने कहा था कि उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण देने का फैसला कर लिया था, लेकिन कोर्ट के स्टे के कारण समुदाय को यह लाभ नहीं मिल पा रहा है। अब न्यायपालिका को घेरे में लेकर सीएम फडणवीस ने अपनी कुर्सी बचाने की जुगत लगाई है। देखते हैं कि उनका यह सेफ साइड गेम क्या आगामी चुनावों में उन्हें सेफ कर पाता है या फिर वह बाउंड्री लाइन पर आउट हो जाएंगे?
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