मार्गशीर्ष के महीना में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मार्गशीर्ष अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसको अगहन अमावस्या और पितृ अमावस्या कहा जाता है। जी दरअसल मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या का महत्व कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या के जैसे ही माना जाता है। कहा जाता है यह माह माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है, इस वजह से इसमें लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। इसी के साथ ऐसी मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन और व्रत करने से पापों का नाश होता है। आपको बता दें कि इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी। अब हम आपको बताते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व और तिथि।
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मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व- मार्गशीर्ष माह में ही भगवान कृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान दिया था, इसीलिए इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यधिक लाभकारी और पुण्य फलदायी मानी जाती है। जी दरअसल मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों की पूजा करने का विशेष दिन माना गया है। इसी के ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन पूजन और व्रत से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है। जी दरअसल मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करने से कुंडली के दोष दूर होते हैं। इसी के साथ इस अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने से इंसान के सारे पाप मिट जाते हैं।
मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि- हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 23 नवंबर दिन बुधवार को मनाई जाएगी। मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर को सुबह 06 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगी और 24 नवंबर को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर इसका समापन होगा।
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