भोपाल: बागेश्वर धाम सरकार के नाम से लोकप्रिय कथावाचक आचार्य धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों ख़बरों में बने हुए है। भक्तों के लिए वे बागेश्वर धाम सरकार, बागेश्वर महाराज हैं। लेकिन वे स्वयं को हनुमान जी का सेवक मानते हैं। वे तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्यस्वामी के शिष्य हैं। विरोधी उन पर अंधविश्वास फैलाने का इल्जाम लगाते हैं। वे अपनी शक्तियों को ध्यान विधि का नतीजा बताते हैं, जो उन्हें दादा गुरु से प्राप्त हुई है।
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री कथा वाचक हैं। वह दावा करते हैं कि वे मन की बात जान लेते हैं। उनकी कथा के वीडियो जमकर वायरल होते रहते हैं, जिसमें वे ऐसा करते नजर आते हैं। लोकप्रियता बढ़ी तो धीरेंद्र शास्त्री को देश के अलग-अलग प्रदेशों से कथा के लिए बुलावा आने लगा। ऐसी ही एक कथा में वह नागपुर गए हुए थे। यह कथा 13 जनवरी तक चलनी थी मगर शास्त्री 11 जनवरी को ही वापस लौट गए। महाराष्ट्र की एक संस्था है- अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति। इस संस्था के श्याम मानव ने बोला- धीरेंद्र शास्त्री के नाम पर जादू-टोना करते हैं तथा अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने पुलिस से धीरेद्र शास्त्री के विरुद्ध कार्रवाई करने की भी मांग की। महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून है जिसमें अंधविश्वास फैलाने वाले के विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। संस्था ने इसी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की। समिति ने 30 लाख की चुनौती भी दे डाली कि धीरेंद्र शास्त्री अपने दिव्य दरबार में जिन चमत्कारों का दावा करते हैं, उन्हें आकर उसके मंच पर दिखाएं। ऐसा करते हैं तो उन्हें 30 लाख रुपये दिए जाएंगे मगर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार नहीं की। बल्कि, जैसा ऊपर बताया गया है वह दो दिन पहले ही कथा ख़त्म करते वापस लौट गए। इस पर धीरेंद्र शास्त्री मंच को लेकर एक वर्ग सोशल मीडिया पर दावा करने लगा कि वो डरकर भाग गए। हालांकि काफी सारे लोग उनके समर्थन में भी लिख रहे हैं। वही इसको लेकर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा भी था कि उन्हें चुनौती कबूल है।
बागेश्वर धाम की महिमा:-
दावे किए जाते हैं कि बागेश्वर धाम में बालाजी के दर्शन करने से कई असाध्य रोग दूर हो जाते हैं। लोग यहाँ नौकरी, शादी से लेकर व्यापार एवं राजनीतिक भविष्य को लेकर अर्जी बाँधने आते हैं। अर्जी वस्त्रों में लिपटा एक नारियल होता है, जिसे मंदिर प्रांगण में बाँध दिया जाता है। ऐसी परम्परा है कि बालाजी की कृपा से अर्जी स्वीकार होती है तथा लोगों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं।
वही इस वक़्त बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक खास वर्ग के निशाने पर हैं। उनके इल्जामों को लेकर महंत का कहना है कि घर वापसी का अभियान चलाए जाने की वजह से वे निशाने पर हैं। भले मीडिया में इस विवाद की इन दिनों खूब चर्चा हो, भले बागेश्वर सरकार इस वक़्त रायपुर में हैं, लेकिन बागेश्वर धाम अपनी ही गति से चल रहा है। बागेश्वर धाम के सेवादार मनोज त्रिवेदी ने बताया कि यहाँ प्रत्येक वर्ष कन्याओं का सामूहिक विवाह होता है। इस वर्ष महा शिवरात्रि (18 फरवरी 2023) पर 121 कन्याओं का विवाह होना है। ये कन्या आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों से होती हैं या फिर अनाथ। इस वक़्त धाम में इस आयोजन को लेकर तैयारियाँ चल रही है। मनोज त्रिवेदी ने बताया, “बागेश्वर धाम में गुरुजी (धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री) प्रत्येक वर्ष निर्धन कन्याओं का विवाह कराते हैं। इस वर्ष भी महा शिवरात्रि पर 121 कन्याओं का विवाह होना है। गुरुजी अपनी बहन और बेटी मानकर कन्याओं को विदा करते हैं। गुरुजी उनको वो सब देते हैं जो एक पिता अपनी बेटी को देने का प्रयास करता है। वर्ष 2021 में 108 कन्याओं का विवाह हुआ था। इस वर्ष फिर हो रहा है।” मनोज त्रिवेदी के मुताबिक, सामूहिक विवाह का यह आयोजन चार साल से हो रहा है। उनके मुताबिक, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बचपन में ही इसके लिए संकल्प लिया था। अब उसको प्रत्येक वर्ष निभा रहे हैं। वे बताते हैं, “गुरुजी का जीवन अभावों से भरा हुआ था। वे बहुत गरीब थे। उनकी बहन की शादी के वक़्त उनके पैसा पैसा नहीं था। तब उन्होंने संकल्प लिया था कि अगर कभी बालाजी की उन पर कृपा होगी तथा वे जो भी कमाएँगे उससे वह निर्धन कन्याओं की शादी कराएँगे। गुरुजी चाहते हैं कि जैसे वो अपनी बहन की शादी के लिए परेशान एवं दुखी हुए थे ऐसा किसी भाई को न होना पड़े। इसलिए, वह कन्याओं का विवाह कराते हैं।” विवाह के पंजीकरण के लिए बागेश्वर धाम में बकायदा एक दफ्तर बना हुआ है। धाम से प्राप्त हुई खबर के मुताबिक, 2019 में 17 कन्याओं, 2020 और 2021 में 21 कन्याओं का और 2022 में 108 कन्याओं का विवाह कराया था। 2022 में जिन कन्याओं का विवाह हुआ था, उनमें 12 ऐसी थीं जिनके पिता नहीं थे। वहीं, एक कन्या ऐसी थी जिसके माता-पिता दोनों नहीं थे। विवाहित जोड़ों को धाम की ओर से ही रामचरितमानस के साथ-साथ वो हरेक वस्तु प्रदान की जाती है जो एक गृहस्थी को आरम्भ करने के लिए जरुरी है। इसके साथ ही बागेश्वर धाम में भंडारा निरंतर तीन वर्षों से चल रहा है। इसे अन्नपूर्णा कहते हैं। मनोज त्रिवेदी ने बताया, “गुरुजी नहीं चाहते कि धाम में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली पेट लौटे। इसलिए अन्नपूर्णा आरम्भ किया गया। यह 3 साल से चल रहा है। यहाँ हर रोज हजारों लोग प्रसाद पाते हैं।” धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर लग रहे इल्जामों को लेकर जब मनोज त्रिवेदी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “जो लोग गुरुदेव पर आरोप लगा रहे हैं उन्हें दरबार में जाना चाहिए। दरबार में बैठेंगे तो गुरुदेव उनकी सारी पोल खोल देंगे। यहाँ एक से बढ़कर एक लोग आए और चले गए। मीडिया वाले नहीं टिके। नेता लोग आते हैं तथा प्रणाम कर चले जाते हैं। गुरुजी पर बालाजी का आशीर्वाद है। वह जो कह देते हैं वही होता है।” बागेश्वर धाम और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री में जो आस्था मनोज की है, वैसी ही आस्था यहाँ आने वाले हर व्यक्ति के अंदर नजर आती है। यही आस्था उन्हें यहाँ तक खींच कर लाती है तथा यही 26 वर्षीय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपने मनमोहक मुस्कान के साथ यह कहने की ताकत भी देती है कि टोपी वालों से भी सीता-राम बुलवा देंगे। चिंता न करो।
खुद पर लगे आरोपों पर क्या बोले बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री?
बागेश्वर धाम से महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मैं कोई तपस्वी नहीं हूं, किन्तु पूरा बचपन तपस्या में गुजरा है। बचपन से ही हनुमान चालीसा का पाठ किया। गुरुजी ने जो बताया उसे अनुभव किया। हनुमान जी के चरणों में बैठकर रोए। उसका ही नतीजा है कि आज सनातन धर्म का झंडा हर जगह गाड़ा जा रहा है। मिशनरियों के मुंह पर तमाचा पड़ा है। इस के चलते उन्होंने महाराष्ट्र की उस समिति को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया को मैनेज करके कोई भी लोकप्रिय हो सकता है, किन्तु सच्चाई नहीं होगी तो बोल्ड आउट हो जाएंगे। हमारे बारे में दिखाया गया कि सफाई देते-देते हमारी आंखें भर गई हैं। आगे उन्होंने कहा- "अरे सफाई देते-देते हमारी आंखें भरेंगी? हम बब्बर शेर हैं। हमने उनको रुला दिया है झंडा गाड़कर। लोगों को आंखें खुली करके देखना चाहिए।" पंडित शास्त्री ने कहा कि क्या भारत के इतिहास में कभी पादरी के विरुद्ध न्यूज चैनलों ने एक्सपोज किया है? इस के चलते जब उनसे पूछा गया कि कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति आपके दरबार में आए तो उसकी सहायता करते हैं? पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हमसे बहुत मुसलमान जुड़े हैं। बहुत क्रिश्चियन भी आते हैं। अन्य पंथों के लोग भी आते हैं। हम मानव होने के नाते सबकी सहायता करते हैं। बस हमारे सामने जो आएगा, वो सनातनी बनेगा, हम बालाजी से प्रार्थना करेंगे। बागेश्वर के महाराज से पूछा कि आपके दरबार में जब लोग आते हैं तो वो तड़पने लगते हैं, अपने आपको मारने लगते हैं। उस वक़्त लोगों को क्या हो जाता है? इस पर उन्होंने कहा कि नकारात्मक एवं सकारात्मक ऊर्जा की लड़ाई है। हम कुछ नहीं, हमपर तो कोई प्रेत नहीं चढ़ा है। वही जब उनसे पूछा कि ईसाई लोग जब धर्मांतरण कैंप लगाते हैं, तब वो भी ऐसे ही करते हैं? झूमने लगते हैं। इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने बोला कि पूरे देश में इसी बात की चर्चा है। मिशनरीज इसीलिए हमारे पीछे लगे हैं, मगर कोई भी पादरी बागेश्वर धाम का सामना नहीं कर पाएगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने पादरियों और मौलाना के बीच अंतर बताते हुए कहा कि हम किसी प्रकार का शोषण नहीं करते। निर्धन लड़कियों की शादी कराते हैं। भंडारा करते हैं। हम दक्षिणा नहीं लेते। 2029 तक श्रद्धालुओं के सहयोग से 400 बेड का कैंसर रिसर्च अस्पताल खुलवाने जा रहे हैं। हम दंगा नहीं फैलाते। हम हलाला नहीं करते। डुबकी के नाम पर श्रद्धालुओं को नहीं डराते हैं। हम भूत नहीं हटाते। प्रेत नहीं निकालते। हम बस भगवान से जोड़ते हैं।
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