नई दिल्लीः देश में चल रही मंदी की सबसे जगड़ी मार ऑटो सेक्टर पर पड़ी है। पिछले काफी समय से वाहन उद्योह की कई कंपनियों ने अपने यहां छंटनी की है। इस सूची में मारुति सुजुकी इंडिया भी शामिल हो गयी है। मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने मंगलवार को बताया कि कंपनी अपने 16,050 मजबूत स्थायी कर्मचारियों की संख्या में कटौती नहीं करेगी। हालांकि, मंदी के कारण करीब 3,000 अस्थायी कर्मचारियों के अनुबंधों को आगे नहीं बढ़ाया गया है।
मतलब इन कर्मचारियों के पास अब कोई नौकरी नहीं बची। सालाना आम बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए भार्गव ने कहा कि अगर राज्य सरकारें विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में अपनी भूमिका नहीं निभाती हैं तो मोदी सरकार का पांच साल में 5,000 अरब डॉलर का अर्थव्यवस्था बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य पटरी से उतर सकता है। साथ ही अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 25 फीसदी तक पहुंचाना काफी मुश्किल होगा।
इसलिए विनिर्माण उद्योग को आगे बढ़ाने में राज्यों को भागीदारी निभानी होगी और पूरे वाहन उद्योग में अपनी भूमिका के महत्व को समझना होगा। भार्गव ने बताया कि देश की जीडीपी में वाहन क्षेत्र की भागीदारी 49 फीसदी है। यह उद्योग राज्यों में काफी रोजगार और राजस्व सृजन करता है, मगर मंदी या बिक्री में गिरावट से इन पर असर पड़ता है।
उन्होंने कहा कि किसी उद्योग की परिचालन लागत पर राज्यों को काफी कुछ करने की जरूरत है। राज्यों का कराधान काफी ऊंचा है। पेट्रोल पर कर काफी अधिक है। ऐसे में किसी के लिए कार रखना कितना सुविधापूर्ण हो सकता है, यह काफी हद तक राज्यों पर ही निर्भर है। भार्गव ने कहा कि कंपनी इस साल सीएनजी कारों का उत्पादन 50 फीसदी तक बढ़ाने जा रही है। बीएस-6 मानक से अगले वित्त वर्ष में बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।
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