लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता एमसी मैरीकॉम ने बोला है कि इस समय उनका एक मात्र लक्ष्य अगले वर्ष टोक्यो ओलंपिक में अलग रंग का ओलंपिक पदक जीतना है. मैरी कॉम ने लंदन ओलंपिक-2012 में कांस्य पदक जीता था व इसी के साथ वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली हिंदुस्तान की पहली महिला मुक्केबाज बनी थीं. मैरी कॉम ने ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर लिया है.
मैरी ने सोनी टीवी के शो द मेडल ग्लोरी में कहा, 'मैं जब भी रिंग में होती हूं मुझसे कई तरह की उम्मीदें की जाती हैं व वो मेरे दिमाग में रहती हैं. मैं कई बार यह सोच कर रात-रात भर नहीं सो पाती कि मैं अपने अंदर सुधार करने को लेकर क्या करूं, मैं अपनी कमजोरियों पर कार्य कैसे करूं व बाकी चीजें.' उन्होंने कहा, 'मेरे लिए जो दुआएं की जाती हैं उनकी बदौलत मैं अभी तक पास हूं. मैं अभी भी अपनी स्ट्रेंग्थ, स्टेमिना, स्पीड व एंड्यूरेंस पर कार्य कर रही हूं. इस समय मेरा मुख्य लक्ष्य अपने पदक का रंग बदलना है.'
छह बार की दुनिया विजेता मुक्केबाज ने बोला कि उन्हें लंदन ओलंपिक की तैयारी के लिए पुरुष मुक्केबाजों के साथ एक्सरसाइज करना पड़ा था ताकि वो 51 किलोग्राम भारवर्ग में खेल सकें. मैरी कॉम आमतौर पर 48 किलोग्राम भारवर्ग में खेलती हैं लेकिन एमेच्योर अंतरार्ष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने इस भारवर्ग को ओलिम्पक में से हटा दिया है.
इसलिए उन्होंने 51 किलोग्राम भारवर्ग में शिफ्ट किया था व 2010 एशियाई खेलों में कांस्य जीता था. इसके बाद वो ओलंपिक पदक जीतने में पास रही थीं. उन्होंने कहा, 'उस समय मेरे पास 51 किलोग्राम भारवर्ग का अनुभव नहीं था. एक वर्ष पहले ही मैंने अपनी कैटेगरी में शिफ्ट किया था. मैंने अपने सभी दुनिया चैम्पियनशिप पदक 48 किलोग्राम भारवर्ग में ही जीते हैं.' उन्होंने बोला कि 51 किलोग्राम में मुझे अपने से लंबे मुक्केबाजों का सामना करना होता था व उनकी पहुंच भी अच्छी रहती थी. हिंदुस्तान में उस तरह की लंबाई की ज्यादा मुक्केबाज नहीं हैं. इसलिए 2012 ओलिम्पक के लिए मुझे पुरुषों के साथ एक्सरसाइज करना होता था.'
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