आज दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। जी हाँ, आज मासिक दुर्गाष्टमी है। कहा जाता है इस दिन व्रत और पूजा का खास महत्व है। आप सभी को बता दें कि हर महीने दुर्गाष्टमी आती है और इसका बहुत महत्व है। जी दरअसल इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने और व्रत रखने से मां प्रसन्न होती हैं और मनचाहा वरदान देती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे दिल और श्रद्धा से जो भी कामना की जाए देवी दुर्गा मां उसे जरूर पूरा करती हैं। आपको बता दें कि आषाढ़ के इस महीने में दुर्गाष्टमी शनिवार, 17 जुलाई यानी आज है। ऐसे में हम आपको बताते हैं दुर्गाष्टमी की पूजा विधि, पूजा का मुहूर्त और कथा।
दुर्गाष्टमी की पूजा विधि- दुर्गाष्टमी के दिन स्नान कर लें, उसके बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें। अब लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इसके बाद माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें। ध्यान रहे अगर आप प्रसाद चढ़ा रहे हैं तो उसके रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। अब धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। इसके बाद हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें, कि वह आपकी सारी इच्छा पूरी करें।
पूजा का मुहूर्त- मासिक दुर्गाष्टमी शनिवार, 17 जुलाई को सुबह 04 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होकर रविवार, 18 जुलाई को रात 2 बजकर 41 मिनट तक रहेगी।
दुर्गा अष्टमी कथा- शास्त्रों के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और वे स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे। उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग में तबाही मचा दी। इन सभी में सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था। भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया। इस दौरान हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया। इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया। मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया। उस दिन से दुर्गाष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ।
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