आज है मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि, जानिए पूजा विधि

आज है मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि, जानिए पूजा विधि
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हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। जी दरअसल भोलेनाथ की आराधना में प्रत्येक महीने एक मासिक शिवरात्रि मनाने की परंपरा है। इसी के साथ मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि 22 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से शिवजी की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही शिवजी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त- मासिक शिवरात्रि की तिथि की शुरुआत 22 नवंबर 2022, मंगलवार यानी आज सुबह 08 बजकर 49 मिनट से होगी और इसका समापन 23 नवंबर यानी कल सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष की मासिक शिवरात्रि 22 नवंबर आज मनाई जा रही है। 


मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि का महत्व- आप सभी को बता दें कि शिव भक्तों के लिए महाशिव रात्रि के साथ ही हर माह पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है। जी दरसल ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि में व्रत, उपवास रखने से भगवान शिव सभी मनोमनाएं पूरी करते हैं। जो कन्याएं मनोवांछित वर पाना चाहती हैं उन्हें इस व्रत को करना चाहिए। इससे उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है और उनके विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। 

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मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि पूजन विधि- मासिक शिवरात्रि व्रत यदि रखना चाहते हैं तो इस व्रत को किसी भी दिन शुरू नहीं कर सकते हैं। मासिक शिवरात्रि व्रत का प्रारम्भ महाशिवरात्रि के दिन से किया जाता है। जी हाँ और इस व्रत को कोई भी कर सकते है। इस व्रत में श्रद्धालुओं को रात को जाग कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए। मासिक शिवरात्रि वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें।

जी दरअसल शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए। इसी के साथ भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें। शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें। शाम के समय आप फलहार कर सकते हैं। उपासक को अन्न ग्रहण नही करना चाहिए। अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें।

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