माता द्रोपदी के श्राप की वजह से खुले में सहवास करते हैं कुत्ते

माता द्रोपदी के श्राप की वजह से खुले में सहवास करते हैं कुत्ते
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आज तक आप सभी ने कई कथाएं और कहानियां सुनी होंगी जो हिन्दू धर्म के ग्रंथों से जुडी हैं लेकिन क्या आपने महाभारत की यह कहानी सुनी है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं? जी दरअसल आप सभी ने देखा होगा कुत्ते वह जानवर है जो हमेशा खुले में सहवास करते हैं, लेकिन आपने सोचा है आखिर ऐसा क्यों? जी दरअसल द्रौपदी के श्राप के चलते ऐसा होता है और आज हम आपको बताने जा रहे हैं वह कहानी।

पौराणिक कहानी- कहानी शुरू होती है द्रोपदी के विवाह से। अर्जुन द्रौपदी से विवाह कर उन्हें अपने घर लाये तो माँ कुंती ने अनजाने में यह कह दिया था कि जो भी वो लाया है उसे सभी भाई बराबर में बाँट कर उसका उपयोग करेंगे और इसी वजह से पांचो भाइयों को द्रौपदी से विवाह करना पड़ा था। कहा जाता है द्रौपदी ने भगवान शिव की पूजा करके उनसे वरदान माँगा था। “कि उन्हें बल, बुद्धि, कौशल, शौर्य और नैतिकता में परिपूर्ण वर प्राप्त हो”। हालाँकि द्वापरयुग में ऐसा संभव नही हो सका हर व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी होती थी और इसी वजह से द्रौपदी को ये सारे गुण उनके अलग-अलग पतियों में मिले और इसी कारण उन्हें पांच पांडवो से शादी करनी पड़ी थी।

कहा जाता है जब अर्जुन द्रौपदी को शादी करके घर लाये थे तो माँ के वचन का मान रखने के लिए पांडवो को द्रौपदी से शादी करनी पड़ी, और इसके बाद पांडवो में यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष किसी एक ही पांडव के साथ अपना समय व्यतीत करेंगी और जो कोई भी इस निर्णय का दुरूपयोग करेगा उसे एक वर्ष तक वनवास जाना होगा। ऐसे में जब भी द्रौपदी किसी पांडव के साथ अकेले में समय व्यतीत कर रही होती तो दुसरे पांडव को उस कक्ष में आना वर्जित होता था। वहीं इसी दौरान एक ऐसी घटना घटित हो गई जिसकी वजह से कुत्ते को यह श्राप मिला की सहवास करते समय उनको पूरी दुनिया देखेगी। जी दरअसल पांडवो ने नियम बनाया था की जब भी कोई एक पांडव द्रौपदी के कक्ष में जाया करता था तो वो अपनी पादुकाएं द्वार पर उतार दिया करता था ताकि उनके भाई पादुका देख कक्ष में प्रवेश ना करें। हालाँकि एक बार जब अर्जुन अपनी पादुका प्रवेश द्वार के बाहर उतार द्रोपति के संग प्रेम प्रसंग में लीन थे तभी द्वार पर एक कुत्ता आया और खेल-खेल में उस कुत्ते ने अर्जुन की पादुका उठा ली और उसे लेकर वो पास के जंगल में जाकर उसके साथ खेलने लगा।

इसी बीच भीम अपने कक्ष की ओर प्रस्थान कर रहे थे, तो उन्होंने देखा की द्रौपदी के कक्ष के बाहर कोई पादुकाएं नहीं है, और वो द्रौपदी के कक्ष में प्रवेश कर गए। इसी बीच भीम को अपने कक्ष में देखकर द्रौपदी शर्मिंदा हो गयी और बहुत ही क्रोधित होते हुए उन्होंने भीम से कहा कि उन्होंने कक्ष में प्रवेश कैसे किया जबकि अर्जुन उनके कक्ष में हैं? इस पर भीम ने बताया कि बाहर कोई पादुका द्वार पर नहीं रखी है। उसके बाद दोनों भाई कक्ष के बाहर गए और उन्होंने पादुकाओं को खोजना शुरू कर दिया, ढूंढते-ढूंढते वे पास के जंगल में पहुंच गए उन्होंने देखा की एक कुत्ता अर्जुन की पादुकाओं का साथ खेल रहा है। ऐसे में द्रोपदी इस बात से बहुत ही लज्जित महसूस कर रही थी और उतनी ही क्रोधित भी थी ऐसे में उन्होंने क्रोध में आकर कुत्तो को यह श्राप दे दिया कि जैसे आज मुझे भीम ने सहवास करते देखा है उसी तरह तुम्हें सारी दुनिया सहवास करते देखेगी। बस यही श्राप के चलते कुत्ते खुले में सहवास करते हैं।

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