हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्सय जयंती मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्री विष्णु ने पृथ्वी पर मछली के रूप में अवतार लिया था। मत्सय पुराण के मुताबिक, पुष्पभद्रा नदी के किनारे पर प्रभु श्री विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्सय का अवतार लिया था। इस दिन को मत्सय जयंती के रूप में आराधना की जाती है। इस दिन को प्रभु श्री विष्णु के भक्त धूमधाम से मनाते हैं। इसके अतिरिक्त विष्णु मंदिर में इस दिन को विशाल पूजा का आयोजन किया जाता है। मत्सय रूप प्रभु श्री विष्णु के 10 प्रमुख अवतार में से एक है।
मत्सय जयंती शुभ मुहूर्त:- मत्सय जयंती तिथि- 15 अप्रैल 2021
मत्सय जयंती पर क्या करना चाहिए:- आज के दिन प्रभु श्री विष्णु की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन मत्सय पुराण सुनने और पढ़ने से प्रभु विष्णु खुश होते हैं। मत्सय जयंती के दिन मछलियों को आटे की गोली खिलाने से पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन मछलियों को नदियों तथा समुद्र में छोड़ने से प्रभु श्री विष्णु की आप पर कृपा बरसती है।
कथा:- पौराणिक कथा के मुताबिक, द्रविड़ देश के राजर्षि सत्यव्रत कृतमाला नदी में स्नान कर रहे थे। उन्होंने हाथों में जल लिया तो उनके हाथों में छोटी मछली आ गई। राजा ने मछली को नदी में छोड़ दिया। तब मछली ने बताया, राजन नदीं में बड़े-बड़े जीव छोटे जीवों को खा जाते हैं। आप मेरी प्राणों की रक्षा करें। ये बात सुनकर राजा ने मछली को अपने कमंडल में डाल दिया। किन्तु एक ही रात में मछली इतनी बड़ी हो गई कि कमंडल छोटा पड़ने लगा। राजा ने मछली को मटके में डाल दिया जिससे वो सुरक्षित रहें। फिर एक रात में मछली इतनी बड़ी हो गई कि मटका छोटा पड़ने लगें। राजा हैरान हो गए तथा मछली को सरोवर में डाल दिया। एक रात में मछली का शरीर इतना बड़ गया कि सरोवर भी छोटा पड़ने लगा। यह देख राजा समझ गए कि ये कोई सामान्य मछली नहीं है।
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