मुसलमान के घर ढहा दिए गए, इजराइल जैसी नीतियां अपना रही सरकार: मुस्लिम लॉ बोर्ड

मुसलमान के घर ढहा दिए गए, इजराइल जैसी नीतियां अपना रही सरकार: मुस्लिम लॉ बोर्ड
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बीते शनिवार (8 अक्टूबर) को आरोप लगाया कि कुछ राज्य सरकारें इजराइल (Israel) जैसी नीतियां अपना रही हैं और बात-बेबात दलितों, मुसलमानों के मकानों पर बुलडोजर (Bulldozer) चलवा रही हैं। जी दरअसल लॉ बोर्ड की ओर से जारी एक बयान में यह कहा गया कि, महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी (Maulana Khalid Saifullah Rehmani) ने दावा किया कि कई शहरों में मुसलमानों और दलितों के मकानों पर बुलडोजर चलवाए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और कुछ राज्य सरकारें देश में इजराइल जैसी नीतियां अपना रही हैं और बुलडोजर संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं जोकि देश के लिए आपत्तिजनक और शर्मनाक है।

जी दरअसल रहमानी ने आरोप लगाया कि भारत की छवि ऐसे लोकतांत्रिक देश की है जहां प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन हाल-फिलहाल में सरकार का रुख बदलकर तानाशाही होता जा रहा है। इसी के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव रहमानी ने कहा कि कई शहरों में मुसलमान और दलितों के घर तुच्छ आरोपों के चलते ढहा दिए गए। एक व्यक्ति को घर बनाने में जिंदगी लग जाती है। हालांकि, वह घर बनाता है और उसके माता-पिता, बच्चे और कभी-कभी उसकी नाबालिग बहनें और भाई साथ में रहते हैं, इस प्रकार घर पर परिवार का साझा स्वामित्व होता है। अब अगर उसके घर का कोई बड़ा या नाबालिग बेटा गलत कामों में पथराव में शामिल हो गया तो क्या यह सही है कि सरकार पूरे परिवार को सजा दे?

इसके अलावा उन्होंने कहा कि बूढ़े माता-पिता और निर्दोष बच्चों को भी सजा का सामना करना पड़ जाता है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण को लेकर मकानों का ढहाने के सरकारी दावे को लेकर भी विचार किया जाना चाहिए। जब घर बन रहा होता है और अगर यह अवैध है तो सरकार को इसका निर्माण रोक देना चाहिए। मान लीजिए मुसलमानों और दलितों के 50 घर हैं और उनमें से किसी ने निर्माण की अनुमति नहीं ली लेकिन उनमें से कुछ ही को निशाना बनाया जाता है और मकान ढहा दिए जाते हैं। पुलिस कहती है कि वे पथराव में शामिल थे। क्या कानून ऐसे काम करता है? इस तरह की गलती के लिए एक को सजा दी जाती है और यह दूसरे के न्याय की खुली हत्या नहीं है?

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अगर वाकई सरकार कानून के हिसाब से निर्माण कराने को लेकर गंभीर है तो लोगों तो मौका दिया जाना चाहिए कि वे जुर्माना भरकर अपने मकानों को नियमित कर सकें। इसके अलावा, निर्माण के लिए नए और सख्त कानून लागू करना चाहिए, कोई पूर्वाग्रह वाला कानून नहीं होना चाहिए और सबके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।

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