मॉरीशस को वापस मिलेगा चागोस द्वीपसमूह, भारत-अमेरिका की दखल के बाद माना ब्रिटेन

मॉरीशस को वापस मिलेगा चागोस द्वीपसमूह, भारत-अमेरिका की दखल के बाद माना ब्रिटेन
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लंदन: ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने का निर्णय लिया है, जो उपनिवेशवाद के बाद न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय मॉरीशस की कई दशकों की कानूनी लड़ाई और कूटनीतिक प्रयासों के बाद आया है, जब से 1960 के दशक में द्वीप समूह को इससे अलग किया गया था। इस फैसले का आधार अंतरराष्ट्रीय दबाव था, विशेषकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के 2019 के फैसले और संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर, जिसमें यूके के नियंत्रण को अवैध घोषित किया गया था।

यह हस्तांतरण ब्रिटिश उपनिवेशवाद के उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि चागोस द्वीप समूह ब्रिटेन के उपनिवेशी साम्राज्य के अवशेषों में से एक है। हालांकि, डिएगो गार्सिया, जो एक अमेरिकी सैन्य अड्डे के रूप में कार्य करता है, पर अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को बनाए रखने के लिए ब्रिटेन ने इसे अमेरिका को पट्टे पर दे रखा है। ब्रिटेन और मॉरीशस के प्रधानमंत्रियों ने एक संयुक्त बयान में इस समझौते की घोषणा की, जिसमें दोनों देशों के बीच विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और कानून के शासन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया गया है। बयान में कहा गया कि यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो द्वीपसमूह के पूर्व निवासियों के मुद्दों को भी संबोधित करेगा।

ब्रिटेन ने मॉरीशस को वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी वादा किया है, जिसमें वार्षिक भुगतान और बुनियादी ढांचे में निवेश शामिल हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि चागोस द्वीप समूह पर लोग बसा सकें, सिवाय डिएगो गार्सिया के। भारत और अमेरिका ने इस ऐतिहासिक समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूके के विदेश सचिव ने कहा कि यह एक शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक प्रक्रिया होगी, जिससे अमेरिका के साथ मौजूदा सैन्य व्यवस्था को बनाए रखा जा सकेगा। दोनों देशों के नेताओं ने एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए भारत और अमेरिका का धन्यवाद किया।

भारत ने चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस के दावे का समर्थन किया है और इसे उपनिवेशवाद के उन्मूलन के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया है। भारत ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाई है और मॉरीशस के अधिकारों का समर्थन किया है। इस समझौते से मॉरीशस को चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता मिलेगी, जबकि डिएगो गार्सिया अमेरिकी सैन्य अड्डे के रूप में कार्य करना जारी रखेगा। यह प्रक्रिया उपनिवेशवाद के विरुद्ध न्याय की ओर एक कदम है, और चागोसवासियों के लिए उनके अधिकारों की पुनःस्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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