नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सीएम रहने के समय बनी मूर्तियों के मामले में मायावती ने सर्वोच्च न्यायालय में जवाब दाखिल किया है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मायावती ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा है कि उनकी मूर्तियां लगे, ये जनभावना थी. बसपा के संस्थापक कांशीराम की इच्छा थी, कि दलित आंदोलन में उनके योगदान के कारण मूर्तियां लगवाई गई थी.
बसपा मायावती ने अपने जवाब में ये भी कहा है कि यह पैसा शिक्षा पर व्यय किया जाना चाहिए या अस्पताल पर यह एक बहस का उत्तर है और इसे अदालत द्वारा निर्धारित नहीं किया जा सकता है. जवाब में कहा गया है कि लोगों को प्रेरणा दिलाने के लिए ये स्मारक बनाए गए थे. इन स्मारकों में हाथियों की प्रतिमाएं महज वास्तुशिल्प की बनावट हैं और ये बसपा के चुनाव चिन्ह का प्रतिनिधित्व नहीं करते.
दरअसल, याचिका में सरकारी व्यय पर लगी प्रतिमाओं का खर्च मायावती से वसूलने की मांग की है. गत सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रथम दृष्टया तो बसपा अध्यक्ष को मूर्तियों पर खर्च किया गया आवाम का पैसा वापस लौटाना होगा और मायावती को यह पैसा वापस देना चाहिए'. याचिकाकर्ता रविकांत ने 2009 में दाखिल की गई अपनी याचिका में दलील दी है कि जनता के धन का इस्तेमाल अपनी प्रतिमाएं बनवाने और राजनीतिक पार्टियों का प्रचार करने के लिए नहीं किया जा सकता.
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