नई दिल्ली : केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने मायावती द्वारा दलित उत्पीड़न को लेकर राज्यसभा से इस्तीफा देने की पेशकश को अंगुली कटाकर शहीद बनने का नाटक बताया है. उन्होंने बुधवार को लगातार किये गए ट्वीट में कई सवाल भी खड़े किये.
बता दें कि बुधवार को लगातार ट्वीट कर पासवान ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि सन 1996 में मेरठ के हस्तिनापुर थाना अंतर्गत पाली गांव मे छह दलितों की हत्या कर दी गई थी. उस समय मायावती सत्ता में थीं. तब उन्होंने क्यो नहीं इस्तीफा दिया? पासवान ने कहा कि सच तो यह है कि यूपी के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दलितों ने मायावती को नापसंद कर दिया है और विकल्प में कई दलित नेता तैयार होने से मायावती घबरा गई है.
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री पासवान ने मायावती से पूछा कि नोटबंदी के दौरान बैंक में जो 104 करोड़ रुपए जमा कराए थे वह रुपए दलितों ने दिए थे या बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने दिए थे?जब बीएसपी और समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता में थीं. उस समय दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुए थे.केंद्रीय मंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राज्य में दलितों की हत्या और उत्पीड़न के मामलों को गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने तथा संबंधित जिले के डीमऔर एसपी को जवाबदेह बनाने का आग्रह किया, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
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