बिहार: बिहार के पटना नगर निगम में इन दिनों अफसरशाही बनाम जनप्रतिनिधियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई का खेल चल रहा है. मेयर और वार्ड सदस्य निगम के अधिकारियों पर सहयोग नहीं करने और निष्क्रिय रहने का आरोप लगाया है. अफसरों और जनप्रतिनिधियों की लड़ाई इस स्तर तक पहुंच गई है कि निगम के लिए अहम समझे जाने वाली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक भी स्थगित करनी पड़ रही है. मेयर सीता साहू ने खुलकर निगम के आला अधिकारियों पर काम नहीं करने और असहयोग का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि निगम के अधिकारी उनकी बात नहीं मानते हैं. असल में 18 दिसंबर को पटना नगर निगम की सशक्त स्थाई समिति की बैठक स्थगित कर दी गई. वजह मेयर, डिप्टी मेयर सहित स्थाई समिति के सात सदस्यों को बैठक के एजेंडे की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई थी.
पटना नगर निगम में सशक्त स्थाई समिति और निगम बोर्ड की नियमित अंतराल पर बैठक होती है. इसमें राजधानी के विकास के लिए अहम फैसले लिए जाते हैं. लेकिन जब 18 दिसंबर की बैठक के दौरान मेयर सहित दूसरे जनप्रतिनिधियों को एजेंडे की कॉपी नहीं मिली तो, उनकी शिकायत खुलकर सामने आ गई. मेयर ने कहा कि 18 दिसंबर को सशक्त स्थाई समिति की बैठक बुलाने के लिए पत्र नगर निगम के आयुक्त को भेजा गया था. लेकिन नगर सचिव ने सदस्यों को सूची नहीं उपलब्ध कराई. इससे जनप्रतिनिधियों में रोष है. इसलिए आज की बैठक स्थगित कर दी गई. अब एक-दो दिन में बैठक की अगली तारीख तय की जाएगी.
असल में पटना नगर निगम में इन दिनों कुछ भी सामान्य नहीं चल रहा है. विकास के काम ठप पड़े हैं. इस पर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच वर्चस्व का खेल चल रहा है. जनप्रतिनिधि और वार्ड मेंबर अधिकारियों पर सहयोग करने का आरोप नहीं लगा रहे हैं. ये बात कुछ हद तक सही भी है. जानकारी के लिए बता दें कि इन अधिकारियों पर कार्रवाई का डर नहीं रहता है. पहले जनता की बातों और शिकायतों को अधिकारी नजरअंदाज कर देते थे तो, निगम के मेयर या दूसरे जनप्रतिनिधियों पर फर्क नहीं पड़ता था. लेकिन अब जबकि मेयर तक की बात अनसुनी की जा रही है तो बात गंभीर हो गई है.
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