इंदौर: दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही तैयारियां जोरों पर हैं। यह भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जिसे रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के सजावटी सामानों का उपयोग करते हैं, जैसे दीये, रंगोली, लाइटें, फूलों की माला, और कई अन्य वस्तुएं। प्रत्येक वर्ष दिवाली के मौके पर बाजारों में चीनी सामान की भरमार होती है, जो कम कीमत पर उपलब्ध होते हैं, लेकिन अक्सर उनकी गुणवत्ता निम्न होती है। इसी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने इस साल स्थानीय सामान को बढ़ावा देने का आह्वान किया है।
भार्गव ने ‘लोकल फॉर वोकल’ अभियान के तहत लोगों को स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया। इसके तहत वे इंदौर की एक झुग्गी बस्ती में पहुंचे, जहां उन्होंने मिट्टी के दीये बनाए। उनके इस कदम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय कारीगरों और छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहित करना है, ताकि दिवाली के समय लोग उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों को खरीदें और उनके रोजगार में वृद्धि हो।
इस दौरान उन्होंने लोगों से अपील की कि दिवाली को भारतीय संस्कृति के अनुसार मनाया जाना चाहिए, और इसके लिए भारत में बनाए गए उत्पादों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भार्गव ने चीन से आने वाले सस्ते और घटिया गुणवत्ता वाले सामान की आलोचना करते हुए कहा कि हमें अपने देश के कारीगरों के हाथों से बने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस तरह हम न केवल अपनी संस्कृति को बढ़ावा देंगे, बल्कि स्वदेशी उद्योगों को भी मजबूत करेंगे।
मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने अपनी अपील में स्पष्ट रूप से कहा कि स्वदेशी उत्पाद न केवल गुणवत्तापूर्ण होते हैं, बल्कि इनका खरीदना स्थानीय व्यापार और छोटे कारीगरों को सीधा समर्थन देना है। उनके अनुसार, जब हम भारतीय उत्पादों का उपयोग करते हैं, तो यह न केवल हमारी अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं को भी समृद्ध बनाता है।
बॉर्डर से पीछे हटने को माना चीन, पर ओवैसी के दिल में अलग ही सीन!
पंजाब: कांग्रेस की पूर्व विधायक ड्रग तस्करी में गिरफ्तार, पुलिस को रौंदने का भी आरोप
पुणे में दर्दनाक हादसा, पानी की टंकी फटने से 4 मजदूरों की मौत