नई दिल्ली: दुनियाभर में अब गर्म दिनों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण 1980 के दशक में एक साल में भीषण गर्मी (50 डिग्री सेल्सियस तापमान से अधिक) वाले जितने दिन आते थे, उसके मुकाबले अब एक साल में भीषण गर्मी वाले दिनों की तादाद दोगुनी हो गई है. 1980 और 2009 के बीच तापमान औसतन 50 डिग्री सेल्सियस प्रति वर्ष 14 दिनों के आंकड़े के पार पहुंच गया, मगर, रिपोर्ट के अनुसार 2010 और 2019 के बीच, यह तादाद 26 दिनों तक बढ़ गई.
इसके साथ ही, इसी समयावधि के दौरान 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी भारी उछाल देखा गया है, जो औसतन प्रति वर्ष दो हफ्ते अतिरिक्त दर्ज किया गया है. बता दें कि 50 डिग्री सेल्सियस का निशान वेस्ट एशिया क्षेत्र में सामान्य है, विशेषकर लंबी गर्मियों के दौरान. मगर जलवायु वैज्ञानिकों ने ध्यान दिया जब इस गर्मी का कहर कनाडा और इटली जैसे देशों में देखा गया. यहां भी तापमान 50 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया जाने लगा.
इटली में रिकॉर्ड गर्मी का पारा 48.8 डिग्री सेल्सियस और कनाडा में पारा 49.6 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा. जलवायु विशेषज्ञों को भय है कि जब तक फॉसिल फ्यूल इमिशन (Fossil Fuel emissions) को सीमित नहीं रखा जाता है, तब तक खतरनाक 50 डिग्री सेल्सियस का निशान जल्द ही विश्व के और हिस्सों में दर्ज किया जा सकता है. यदि तापमान ऐसे ही बढ़ते रहा तो पूरी मानव जाति को अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझना पड़ेगा.
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