झाबुआ/ब्यूरो। यदि हमारे बीच में कोई मतभेद हो गया हो तो उसे आपस में बैठकर सुलझा लिया जाना चाहिए। यदि किसी कारणवंश न्यायालय के समक्ष प्रकरण चला गया है तो उसे भी मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत कराया जा सकता है। इस प्रक्रिया में दोनों में से किसी भी पक्ष की हार नहीं होगी। यह बातें ग्राम पंचायत गडवाडा झाबुआ में आयोजित मध्यस्थता जागरूकता शिविर/विधिक साक्षरता शिविर में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय झाबुआ श्रीमान नरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा कही।
इस दौरान उन्होंने मध्यस्थता योजना के संबंध में जन सामान्य को विस्तार से समझाया। माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्रीमान मोहम्मद सैय्यदुल अबरार जी के मार्गदर्शन एवं प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय श्रीमान नरेन्द्र प्रतापसिंह जी की अध्यक्षता तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव/जिला न्यायाधीश श्रीमान लीलाधर सोलंजी जी की उपस्थिति में आज दिनांक 10 सितम्बर-2022 को ग्राम पंचायत गडवाड़ा झाबुआ में मध्यस्थता जागरूकता शिविर एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर में श्री सिंह जी ने ग्रामीणजनों से कहा कि मध्यस्थता विवादों को निपटाने की न्यायिक प्रक्रिया से भिन्न एक वैकल्पिक प्रक्रिया है, जिसमें एक तीसरे स्वतंत्र व्यक्ति मध्यस्थ (मीडिऐटर) दो पक्षों के बीच अपने सहयोग से उनके सामान्य हितों के लिए एक समझौते पर सहमत होने के लिए उन्हें तैयार करता है। इस प्रक्रिया में लचीलापन है और कानूनी प्रक्रियागत जटिलताऐं नहीं है। इस प्रक्रिया में आपसी मतभेद समाप्त हो जाते है अथवा कम हो जाते है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि आपसी सहमति से सुलझाए जा सकने वाले मामलों को न्यायालय में लाने के स्थान पर स्वयं अथवा पंचायत स्तर पर या मध्यस्थता के माध्यम से इन्हें सुलझाने का प्रयास करें। उन्होंने बताया कि इस कार्य के लिए बनाए गए मध्यस्थता केन्द्रों में विभिन्न मामले दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर ही सुलझाए जाते हैं। शिविर में जिला न्यायाधीश श्री सोलंकी जी ने कहा कि इस तरह के शिविरों को उद्देश्य आम लोगों को उनके अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाना एवं उन्हें विभिन्न कानूनों की जानकारी प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि हमारे देश का संविधान सभी को आदर प्रदान करता है। देश के नागरिकों को बराबर के अधिकार भी प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रहा है।श्री सोलंकी जी ने कहा कि न्यायालयों में निपटारे के लिए नियत सामान्य प्रक्रिया के साथ-साथ वैकल्पिक विवाद समाधान के कई अन्य तरीके भी है, जिनके माध्यम से हम विवादों का शीघ्र एवं सुलभ निराकरण करवा सकते है। साथ ही मध्यस्थता की प्रक्रिया से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि अगर आपसी समझौते से विवाद सुलझ सकें तो उसको प्राथमिकता देना चाहिए। हमारे द्वारा अपने छोटे-छोटे विवादों को आपस में सुलझाकर समय ऊर्जा व धन का सही दिशा में उपयोग किया जा सकता है।
शिविर में ग्रामीणजनों को निःशुल्क कानूनी सलाह और सहायता योजना, आगामी दिनांक 12 नवम्बर को होने वाली नेशनल लोक अदालत, पीड़ित प्रतिकर योजना, लोक उपयोगी सेवाओं की लोक अदालत, नालसा सालसा की योजना, वृद्धा पेंशन, भरण-पोषण, कोविड-19 महामारी में माता-पिता को खो चुके बच्चों के पुनर्वास एवं शिक्षा प्रदान के बारे में जानकारी, शासन की जनकल्याणकारी योजनाऐं, नालसा मोबाईल एप, निःशुल्क हेल्पलाईन नंबर 15100, आदि के बारे में बताया तथा पंचायत में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेरित किया तथा उनसे जुड़ी समस्याओं के बारे में बातचीत की। शिविर के माध्यम से लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम योजना की जानकारी प्रदान की। उक्त मध्यस्थता जागरूकता/विधिक साक्षरता शिविर में ग्राम पंचायत सरपंच श्री सोमजी डामोर ग्राम पंचायत सचिव श्री राजेश चावडा एवं ग्रामीणजन उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार चेतन हाई स्कूल से श्री बेनेदिक डामोर जी द्वार किया गया। शिविर के माध्यम से प्राधिकरण द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से संबंधित पेम्पलेट भी वितरण किए गये।
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