आज यानि 31 मार्च को बॉलीवुड क्वीन मीना कुमारी की पुण्यतिथि है. इस अवसर पर हम आपको उनके जीवन के रहस्यों को साझा करने वाले है. बता दे कि मीना कुमारी अपने ज़माने की बेहतरीन एक्ट्रेस थीं. कहते हैं कि स्क्रीन पर जो गम की तस्वीर वो बना देती थीं वो किसी और के बस की बात नहीं थी. फिल्म ‘बैजू बावरा’ ने मीना कुमारी को अलग पहचान दिलाई. इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. लेकिन उम्र भर मुश्किलों ने मीना कुमारी का दामन कभी नहीं छोड़ा. शायद इसीलिए उन्हें ट्रेजेडी क्वीन भी कहा जाता है. आइए जानते है उनके जीवन के रोजक तथ्य
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मीना कुमारी के माँ बाप अली बक्श और इकबाल बानो की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी. दोनों थियेटर आर्टिस्ट थे. जब अली बक्श के घर तीसरा बच्चा भी लड़की पैदा हुई तो वो बहुत निराश हुए और सोचा कैसे इस गरीबी में वो गुज़ारा करेंगे. इसीलिए वो अपनी 2 दिन की बच्ची को दादर के एक यतीमखाने की सीढ़ी पर छोड़ आए. लेकिन कुछ कदम चलने के बाद जब नन्ही बच्ची के रोने की आवाज़ उनके कान पर पड़ी तो पिता का दिल पसीज गया. जब वापिस सीढ़ियों पर आए तो उस बच्ची के शरीर पर छोटी छोटी लाल चीटिंया लग गई थी.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि 1958 में जब कमाल अमरोही ने पाकीजा फिल्म बनाने का सोचा तब दोनों के रिश्ते काफी ख़राब हो गए थे. फिल्म की प्लानिंग शुरू हो गई थी. 1964 में मीना कुमारी और कमाल अमरोही अलग हो गए. कमाल अमरोही और मीना कुमारी का रिश्ता क़रीब 10 साल तक चला. पाकीज़ा बीच में ही रह गई. बताया जाता है 1969 में फिर सुनील दत्त और नर्गिस ने मीना कुमारी और कमाल अमरोही को फिल्म पूरा करने के लिए मनाया. आखिरकार फिल्म 1972 रिलीज़. हालांकि रिलीज़ के बाद बॉक्स ऑफिस फिल्म ज्यादा कमाल नहीं कर पाई , लेकिन 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी की अचानक मौत के बाद सुपरहिट साबित हुई.
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