ये है सड़कों के डॉक्टर खुद जाकर भरते है गड्ढे

ये है सड़कों के डॉक्टर खुद जाकर भरते है गड्ढे
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अक्सर लोग अपने रिटायरमेंट के बाद अपने परिवार और पोते-पोती के साथ समय गुजारते है. लेकिन कुछ लोग अपने रिटायरमेंट के बाद समाज सेवा करके अपना समय गुजारते है. आज हम आपको एक ऐसे ही रिटायर रेलवे इंजीनियर की कहानी बता रहे है. इनका नाम है गंगाधर तिलक कत्नम. ये आंध्रप्रदेश के रहने वाले है. इन्होने 35 वर्षों तक रेलवे विभाग में नौकरी की. रिटायर होने के बाद कत्नम अपने बेटे के पास अमेरिका चले गए, फिर कुछ समय वहां रहने के बाद वे हैदराबाद में रहकर एक कंपनी में रहकर सलाहकार के रूप में काम करने लगे.

एक दिन कत्नम जब ऑफिस जा रहे थे तो रास्ते में उनकी गाड़ी का पहिया एक गड्डे में जा अटका और एक बच्ची के ऊपर पूरा कीचड़ उछल गया. कत्नम ने एक गड्डे के कारण हादसा भी देखा है. उन्होंने जब इसकी खोजबीन की तो पाया कि ज्यादातर हादसे इन गड्डो के कारण ही हुए है. इसके बाद ही कत्नम ने ये ठान लिया कि अब वो अपना बचा हुआ जीवन इन सड़को के गड्डे भरने में ही गुजारेंगे. कत्नम ने श्रमदान नाम की एक मुहीम शुरू की. कत्नम के साथ स्कूल और कॉलेज के बच्चे भी इस काम में हाथ बटाने लगे.

कत्नम की पत्नी को उनकी ये बात बहुत अखर रही थी तो उन्होंने अमेरिका में अपने बेटे को फ़ोन कर शिकायत कर दी लेकिन बेटे ने पिता को रोकने की जगह उनकी फेसबुक पेज और वेबसाइट भी बना दी. कत्नम को प्रशासन गड्डे भरने की सामग्री भी देने लगा. कत्नम किसी से भी इस काम के लिए आर्थिक राशि नहीं लेते है लेकिन अगर कोई श्रमदान करना चाहे तो वो उसका स्वागत करते है. आज कत्नम की देश के साथ-साथ विदेशो में भी खूब चर्चा और सराहना की जा रही है. कत्नम को सड़क के डॉक्टर के नाम से भी जाना जाता है.

 

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