वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में इस सप्ताहांत एक बड़ा धार्मिक आयोजन हो रहा है, जिसमें पूरे भारत और विदेशों से पुजारी, संत और आध्यात्मिक नेता एकत्रित होंगे। 1 से 2 दिसंबर तक चलने वाले इस भव्य सम्मेलन में 51 शक्तिपीठों और 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और विभिन्न भारतीय राज्यों के आध्यात्मिक नेता भी शामिल होंगे।
सनातन शोध केंद्र और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जाएगा। इसमें 400 से अधिक संतों, महंतों और पवित्र तीर्थस्थलों के संरक्षकों के भाग लेने की उम्मीद है, जिसमें 700 से अधिक पंजीकरण पहले ही हो चुके हैं और 2,000 से अधिक पंजीकरण लंबित हैं। इस कार्यक्रम की शुरुआत शुक्रवार को चित्तरंजन पार्क से काशी विश्वनाथ धाम तक निकाली गई 'कलश यात्रा' से हुई। शनिवार को होने वाले औपचारिक उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक शामिल होंगे, जबकि रविवार को होने वाले समापन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल होंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत 'मंगलाचरण' से होगी, जो 101 ब्राह्मणों द्वारा की जाने वाली एक पारंपरिक प्रार्थना है, जिसके साथ ढोल और शंख की ध्वनि भी होगी, जो सनातन धर्म की भावना का प्रतीक है। सनातन शोध केंद्र के अध्यक्ष रमन त्रिपाठी ने बताया कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सहयोग के माध्यम से सनातन धर्म के मूल्यों, शिक्षाओं और परंपराओं को बढ़ावा देना है। चर्चा के मुख्य विषयों में पवित्र स्थलों पर अतिक्रमण, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खतरा, मंदिर प्रबंधन में सुधार, भ्रष्टाचार, सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और जीर्ण-शीर्ण मंदिरों का जीर्णोद्धार जैसे मुद्दे शामिल होंगे।
सम्मेलन में मंदिरों के लिए वित्त पोषण में सुधार, शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों के बीच समन्वय बढ़ाने तथा शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामुदायिक कल्याण के लिए संसाधनों को निर्देशित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण आयोजन का उद्देश्य इन आध्यात्मिक केंद्रों के सामूहिक प्रभाव को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना है कि सनातन धर्म के सिद्धांत वैश्विक स्तर पर फलते-फूलते रहें।
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