श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पत्र लिखकर एक समिति गठित करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि यह समिति पिछले पांच वर्षों में नौकरी से निकाले गए कर्मचारियों के मामलों की जांच करे। इन कर्मचारियों को आतंकवादियों या अलगाववादी गतिविधियों से संबंध के शक के आधार पर नौकरी से हटाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 60 कर्मचारी पुलिस, शिक्षा विभाग, जम्मू-कश्मीर बैंक और कश्मीर यूनिवर्सिटी से बर्खास्त किए गए थे, और ये बर्खास्तगी 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद हुई।
महबूबा मुफ्ती और अन्य नेताओं ने इस कदम को "तानाशाही" करार दिया, क्योंकि इन लोगों को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया था। नेशनल कांफ्रेंस ने भी चुनावी घोषणापत्र में ऐसे मामलों को पुनः देखने और कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षा की बात कही थी। मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि उन्होंने उमर अब्दुल्ला को पत्र में ऐसे परिवारों के दर्द को समझने और निष्पक्ष जांच की अपील की है।
मुफ्ती ने लिखा कि बर्खास्तगी के कारण कई परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं। उन्होंने तहसीलदार नजीर अहमद वानी का उदाहरण दिया, जिन्हें आतंकवाद से जुड़े आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, पर बाद में आरोप मुक्त कर दिए गए। उनके निधन के बाद, उनके परिवार को पेंशन जैसी वित्तीय सहायता प्राप्त करने में मुश्किल हो रही है।
महबूबा मुफ्ती ने एक रिव्यू कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो बर्खास्तगी के सभी मामलों का पुनर्मूल्यांकन कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह कमेटी प्रभावित व्यक्तियों को अपना पक्ष रखने का मौका दे और उन्हें मानवीय सहायता व वित्तीय राहत प्रदान करने के लिए त्वरित कदम उठाए। भविष्य में ऐसे अन्याय को रोकने के लिए भी कमेटी दिशानिर्देश तैयार करे।
2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद प्रशासन ने अनुच्छेद 311 (2)(सी) के तहत सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करना शुरू कर दिया। इस कानून के तहत राज्यपाल या राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वे राज्य सुरक्षा के हित में बिना जांच के किसी भी कर्मचारी को हटाने का निर्णय ले सकते हैं। 2021 में इस उद्देश्य के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया था। हाल के वर्षों में कई हाई-प्रोफाइल कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर बैंक के मुख्य प्रबंधक और कुछ अन्य अधिकारी शामिल हैं।
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