पांच दशक तक अपने विशिष्ट अंदाज, हाव भाव दर्शकों को हंसाने वाले महमूद ने फिल्म इंडस्ट्री में 'किंग ऑफ कॉमेडी' का दर्जा हासिल किया था. हालांकि उन्हें इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था. आज 29 सितंबर यानी उनके जन्मदिन के दिन उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी से आपको रूबरू कराने वाले है. महमूद अली का जन्म 29 सितंबर को मुंबई में हुआ था. उनके पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम किया करते थे. घर की आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिए महमूद मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनो में टॉफियां बेचा करते थे. बचपन के दिनों से ही महमूद का रुझान अभिनय की और था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अपने पिता की सिफारिश की वजह से ही 1943 में उन्हें बॉम्बे टॉकीज की फिल्म 'किस्मत' में अपनी खुद की किस्मत को आजमाने का मौका मिला. फिल्म में महमूद ने अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका अदा की थी.
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बस फिर क्या था इसी बीच महमूद ने गाड़ी चलाना सीखा और निर्माता ज्ञान मुखर्जी के यहां ड्राइवर का काम करने लगे. इसका मुख्य कारण ये था कि इसी बहाने उन्हें मालिक के साथ हर दिन स्टूडियो जाने का मौका मिल जाया करता था जहां वो कलाकारों को करीब से देख सकते थे. इसके बाद महमूद ने गीतकार गोपाल सिंह नेपाली, भरत व्यास, राजा मेंहदी अली खान और निर्माता पीएल संतोषी के घर पर भी ड्राइवर का काम किया. महमूद की किस्मत का सितारा तब चमका जब फिल्म 'नादान' की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री मधुबाला के सामने एक जूनियर कलाकार लगातार दस रीटेक के बाद भी अपना संवाद नहीं बोल पाया. फिल्म निर्देशक हीरा सिंह ने महमूद को डायलॉग बोलने के लिए दिया और सीन बिना रिटेक के एक बार में ही ओके हो गया. यही से महमूद के फिल्मी करियर की नई शुरूआत हुई. और उन्होने दर्शकों के लिए एक से बढ़कर एक हिट फिल्म में काम किया.
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